रामगढ़ के प्रगतिशील किसानों को नए कृषि कानून से उम्मीद, बोले-बिचौलियों का कमीशन होगा खत्म
नए कृषि कानूनों को समझने में कोई गलती न करें। इससे न केवल मंडी में बिचौलियों की कमीशनखोरी खत्म होगी बल्कि हम जैसे किसानों को उनका वह हक भी मिलेगा जो आज तक नहीं मिल सका। यह कहना है रामगढ़ तल्ला के प्रगतिशील किसान गोपाल ढैला का।
हल्द्वानी, जागरण संवाददता : नए कृषि कानूनों को समझने में कोई गलती न करें। इससे न केवल मंडी में बिचौलियों की कमीशनखोरी खत्म होगी बल्कि, हम जैसे किसानों को उनका वह हक भी मिलेगा, जो आज तक नहीं मिल सका। यह कहना है रामगढ़ तल्ला के प्रगतिशील किसान गोपाल ढैला का।
अपने दादा स्व. लक्ष्मण सिंह ढैला और पिता रमेश सिंह ढैला को खेती करते देखकर किसानी के हुनर सीखने वाले गोपाल ढैला बताते हैं कि उनका परिवार कई दशकों से खेती-किसानी से जुड़ा है। पहले दादा ने फसलों को सींचा और फिर कुछ समय तक पिता ने इसे आगे बढ़ाया। पिता की सरकारी नौकरी लगने के बाद गांव की 18 नाली कृषि भूमि को संवारने का काम उन्होंने शुरू किया।
किसान गोपाल बताते हैं कि वर्तमान में वह अपनी भूमि में आड़ू की दो तरह की किस्में, पुलम, खुमानी की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। इसके अलावा सर्दियों में मटर की बुआई करते हैं। उनका कहना है कि मंडी में उचित मूल्य तो मिल जाता है लेकिन कहीं न कहीं बिचौलिए बड़ी परेशानी की वजह बने रहते हैं। नए कृषि कानूनों के आने से बिचौलियों की कमीशनखोरी खत्म होगी तो प्रत्येक किसान को उसकी फसल का लागत मूल्य से भी अधिक दाम मिलने लगेगा।
किसान जहां चाहे-जब चाहें अपनी पैदावार खुद बेच सकेगा। फल, फसल, सब्जी खराब न हो इसके लिए कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होती है जो कि नए कृषि कानून में शामिल है। ऐसे में देश के हर एक किसान को इस समय थोड़ा समझदारी से काम लेना होगा।
दिल्ली-मुंबई में प्रसिद्ध हैं रामगढ़ के आड़ू
किसान गोपाल ढैला ने बताया कि उनके क्षेत्र में कई किसान ऐसे हैं जो समय-समय पर चलाई जा रही सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं। इसी की मदद से आज के समय में क्षेत्र के आड़ू को दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों में पहचान मिली है। बताया कि एक अन्य कंपनी खुद क्षेत्र से आड़ू खरीदकर दिल्ली तक सप्लाई करती है। नए कृषि कानून इसे और आसान बनाएंगे।