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मैकेनिकल के समकक्ष नहीं है प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री, करके दर-दर भटक रहे युवा

एशिया के पहले कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 10:37 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 10:37 AM (IST)
मैकेनिकल के समकक्ष नहीं है प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री, करके दर-दर भटक रहे युवा
मैकेनिकल के समकक्ष नहीं है प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री, करके दर-दर भटक रहे युवा

सुरेंद्र कुमार वर्मा, पंतनगर : एशिया के पहले कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री को लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है। विवि प्रशासन द्वारा मैकेनिकल के समकक्ष बताकर दिए गए दाखिले के बाद इस पाठ्यक्रम में डिग्री प्राप्त युवाओं के कॅरियर पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। इतना ही नहीं यह डिग्री लेकर नौकरी को भटक रहे युवाओं को न्यायालय ने भी ठुकरा दिया है। विभाग प्रमुख द्वारा एकेडमिक काउंसिल में इस पाठ्यक्रम को बंद करने की सिफारिश के बाद भी प्रवेश देकर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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मालूम हो कि जीबी पंत कृषि विवि के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में 1966 में स्थापित मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में ही प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की भी पढ़ाई हो रही थी। वर्ष 1993 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग अलग होकर एक स्वतंत्र ब्रांच के रूप में वजूद में आई। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजूकेशन (एआइसीटीई) से संबद्धता लेकर इस पाठ्यक्रम में छात्रों के प्रवेश को बढ़ावा देने के लिए विवि द्वारा प्रोडक्शन को मैकेनिकल इंजीनियरिंग के समकक्ष बताया गया। साथ ही नौकरियों में भरपूर अवसर मिलने की बात भी कही गई। नतीजतन इस पाठ्यक्रम में काफी संख्या में युवाओं ने प्रवेश लिया। यह सिलसिला आज भी जारी है। मैकेनिकल की तुलना में प्रोडक्शन इंजीनियरिंग कम महत्वपूर्ण होने का तब पर्दाफाश हो गया, जब प्रोडक्शन से डिग्री लिए बहुत से छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रों के मुकाबले नौकरी नहीं मिल सकी।

कैंपस प्लेसमेंट निराशाजनक, कोर्ट ने भी ठुकराया

महाविद्यालय में प्लेसमेंट का कार्य देख रहे डॉ. अखिलेश कुमार ने भी इस पाठ्यक्रम के निराशाजनक प्रदर्शन की पुष्टि की। डॉ. कुमार ने बताया कि विवि में कैंपस प्लेसमेंट के लिए आने वाली कंपनियों की अन्य ब्रांचों के डिग्रीधारकों की तुलना में आखिरी पसंद होते हैं। यहां से प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर निकले छात्रों ने जब मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पात्रता वाली नौकरियों में आवेदन किया तो सफल अभ्यर्थियों को मात्र इस वजह से रोक दिया गया कि वह प्रोडक्शन इंजीनियरिंग की डिग्री को इसके मैकेनिकल के समकक्ष नहीं मानते। निराश छात्र जब इस मामले को लेकर न्यायालय गए, तो कोर्ट ने दो टूक निर्णय में प्रोडक्शन इंजीनियरिंग का स्तर मैकेनिकल इंजीनियरिंग के समकक्ष नहीं मानते हुए याचिका रद्द कर दी।

औसत विद्यार्थी इसे नहीं कर पाते 

डॉ. आरएस जादौन, विभाग प्रमुख-प्रोडक्शन इंजीनियरिंग, पंत विश्वविद्यालय ने बताया कि इस डिग्री का रिजल्ट बिल्कुल अच्छा नहीं है। यह पाठ्यक्रम बहुत मेधावियों के लिए है। औसत विद्यार्थी इसे नहीं कर पाते हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इस मामले में एआइसीटीई व कोर्ट भी मदद नहीं कर रहे हैं। मेरे द्वारा इस मुद्दे को कई बार एकेडमिक काउंसिल में उठाने सहित डीन व कुलपति से सिफारिश की जा चुकी है, लेकिन इस विभाग को बंद करने में हमारे 11 फैकल्टी  की आम राय नहीं है।

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