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प्रो. दीवान सिंह रावत का नेशनल फेलोशिप के लिए चयन, काफलीगैर तहसील के रैखोली गांव निवासी हैं रावत

प्रो. दीवान सिंह रावत को नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज फेलोशिप यानी एफएनएससी के लिए चुना गया है। बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय कमेस्ट्री विभाग के सौ वर्ष के इतिहास में यह सम्मान पाने वाले वह तीसरे हैं जबकि उत्तराखंड के दूसरे व्यक्ति हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 05:59 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 05:59 PM (IST)
प्रो. दीवान सिंह रावत का नेशनल फेलोशिप के लिए चयन, काफलीगैर तहसील के रैखोली गांव निवासी हैं रावत
उनकी कामयाबी पर उनके भाई हरीश रावत समेत तमाम लोगों ने खुशी जताई है।

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : दिल्ली विश्वविद्यालय में कमेस्ट्री डिर्पाटमेंट के एचओडी प्रो. दीवान सिंह रावत को नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज फेलोशिप यानी एफएनएससी के लिए चुना गया है। उनके चयन पर उनके गांव रैखोली में खुशी की लहर दौड़ गई है। प्रो. रावत ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय कमेस्ट्री विभाग के सौ वर्ष के इतिहास में यह सम्मान पाने वाले वह तीसरे हैं, जबकि उत्तराखंड के दूसरे व्यक्ति हैं।

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काफलीगैर तहसील के रैखोली गांव निवासी दीवान सिंह रावत दिल्ली विश्वविद्यालय में कमेस्ट्री विभाग के एचओडी हैं। उन्होंने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि एकेडमी की स्थापना 1930 में प्रो. मेघनाथ साह ने की थी।1921 लोगों को अब तक यह सम्मान प्रदान किया गया है। उन्होंने बताया कि उनसे पूर्व उत्तराखंड के पीएचडी सुपरवाइजर डा. डीएस भाकुनी को यह सम्मान 1977 में प्रदान किया गया था। रसायन विभाग में उत्तराखंड से यह सम्मान पाने वाले वह दूसरे व्यक्ति होंगे। उनकी कामयाबी पर उनके भाई हरीश रावत समेत तमाम लोगों ने खुशी जताई है।

लाइलाज बीमारी पार्किसन की खोजी दवा 

दिल्ली यूनिवर्सिटी में रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डा. दीवान सिंह रावत मूल रूप से बागेश्वर जिले के काफलीगैर तहसील के रैखोली गांव के रहने वाले हैं। पिछले साल ही उन्होंने लंबी रिसर्च के बाद लाइलाज बीमारी पार्किंसन की दवा खोजी थी। वे इस दवा को खोजने वाले प्रथम भारतीय वैज्ञानिक हैं। प्रोफेसर रावत जुलाई 2003 में एक रीडर के रूप में विभाग में शामिल हुए और मार्च 2010 में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत हो गए। उन्होंने 1993 में कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की और विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान हासिल करने के लिए योग्यता प्रमाणपत्र से सम्मानित हुए।

केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान से पीएचडी प्राप्त की। लखनऊ से औषधीय रसायन विज्ञान में उन्होंने फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में दो साल काम किया और इंडियाना यूनिवर्सिटी और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी, यूएसए में पोस्टडॉक्टोरल काम किया। वह 2003 में दिल्ली विश्वविद्यालय में शामिल होने से पहले, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च मोहाली में औषधीय रसायन विज्ञान के सहायक प्रोफेसर रहे।

पुरस्‍कारों की लंबी फेहरि‍स्‍त

प्रो. रावत भारतीय विज्ञान कांग्रेस (2019-2020) के अनुभागीय अध्यक्ष रहे। 2007 में सीआरएसआई युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के प्राप्तकर्ता हैं। उन्हें आईएससीबी युवा वैज्ञानिक पुरस्कार (2010) प्रो. डीपी चक्रवर्ती की 60 वीं जयंती समारोह अवार्ड (2007), वीसी के प्रतीक चिन्ह सम्मान, कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल (2011) में गोल्ड बैज एंड डिप्लोमा, इंटरनेशनल साइंटिफिक पार्टनरशिप फाउंडेशन, रूस (2015) प्रोफेसर आरसी शाह मेमोरियल व्याख्यान पुरस्कार, भारतीय विज्ञान कांग्रेस (2015), प्रोफेसर एसपी हिरेमथ मेमोरियल अवार्ड, इंडियन काउंसिल ऑफ केमिस्ट (2016) और वह एक विजिटिंग प्रोफेसर, जापान एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलाजी आदि शामिल हैं।


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