सजायाफ्ता कैदी ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र, लिखा 14 साल से सजा काट रहे कैदियों की सजा माफ हो
राज्य की जेलों में 14 सालों से सजा काट रहे कैदियों की सजा माफ कर उन्हें रिहा करने की मांग हाई कोर्ट तक पहुंच गई है।
नैनीताल, जेएनएन : राज्य की जेलों में 14 सालों से सजा काट रहे कैदियों की सजा माफ कर उन्हें रिहा करने की मांग हाई कोर्ट तक पहुंच गई है। कोर्ट ने एक सजायाफ्ता कैदी के पत्र को जनहित याचिका के रूप में लेते हुए चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
हरिद्वार जेल में पिछले 16 साल से आजीवन कारावास की सजा काट रहे रामचंद्र उर्फ राजू वर्मा पुत्र कैलाश वर्मा ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा है। इस पत्र को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन द्वारा जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है। पत्र में कहा है कि राज्य की जेलों में 14 साल की सजा काट चुके कैदियों की संख्या करीब दो सौ है। करीब 20 कैदी ऐसे हैं जो 20 साल तक की सजा काट चुके हैं मगर सरकार की उदासीनता व लापरवाही की वजह से इन कैदियों को कारागार से मुक्ति नहीं मिल सकी है। पत्र में कहा है कि सरकार की नीति 80 साल की आयु पूरी कर चुके कैदियों को ही मुक्त करने करने की है। युवा कैदियों को 60 साल पूरा करने पर छोडऩे की नीति है। राज्य सरकार द्वारा कैदियों को सजा माफी की नीति में कैदी की सजा के बजाय आयु को वरीयता दी जा रही है। जिस कारण सिर्फ बुजुर्ग कैदियों को ही फायदा मिल रहा है। यह कहा है कि भारत सरकार द्वारा देश में आतंकियों व डाकुओं को समाज की मुख्य धारा में जोड़ते हुए मौका दिया जाता है। जिन कैदियों ने अपना हृदय परिवर्तन के साथ आचरण में सुधार कर लिया है, उनको क्षमादान दिया जाए।
पत्र में यह भी कहा कि देश के दूसरे राज्यों पंबाज, हरियाणा, तमिलनाडु, दिल्ली आदि राज्यों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को 14 साल सजा काटने के बाद रिहा किया जाता रहा है। साफ किया है कि कारागार प्रशासन के मना करने पर पत्र को बाहर से भेजा गया है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।