nanda devi mahotsav: ब्रह्मकमल लेने हीरामणि ग्लेशियर रवाना हुए भक्त, जानें क्या है परंपरा
मां नंदा को उनके प्रिय पुष्प चढ़ाने के लिए उनके क्षेत्र से ही ब्रह्मकमल लाने के लिए भक्तों की टोली नंदा देवी कुंड और हीरामणि ग्लेशियर को रवाना हो चुके हैं।
पिथौरागढ़, जेएनएन : मां नंदा को उनके प्रिय पुष्प चढ़ाने के लिए उनके क्षेत्र से ही ब्रह्मकमल लाने के लिए भक्तों की टोली नंदा देवी कुंड और हीरामणि ग्लेशियर को रवाना हो चुके हैं। सत्त्तर किमी की पैदल चल कर नंदा देवी कुंड में स्नान कर हीरामणि ग्लेशियर क्षेत्र से ब्रह्मकमल लाकर नंदा देवी की मूर्ति पर चढ़ाएंगे।
मुनस्यारी के तल्ला जोहार में प्रतिवर्ष नंदाष्टमी मनाई जाती है। स्थानीय मान्यता है कि उच्च हिमालय में खिलने वाला ब्रह्मकमल नंदा देवी का प्रिय पुष्प है। नंदाष्टमी पर उन्हें ब्रह्मकमल चढ़ाने की परंपरा है। प्रतिवर्ष तल्ला जोहार के अलग -अलग गांवों के भक्त ब्रह्मकमल लेने जाते हैं। यह भी मान्यता है कि मां नंदा अपने ही क्षेत्र से लाए गए पुष्प से खुश होती है। भक्तजन कठिन यात्रा मेंं जाते हैं। नंदा देवी कुंड में पहुंचने के बाद नंगे पांव ग्लेशियर क्षेत्र में जाकर पुष्प लाते हैं। इस दौरान पूरी दिनचर्या पवित्र रहती है। एक बार भोजन करते हैं।
गिनी, होकरा और डोर के ग्रामीण जा रहे हैं ग्लेशियर
नाचनी: नंदाष्टमी पर ब्रह्मकमल लाने की जिम्मेदारी इस वर्ष गिनी, होकरा और डोर के ग्रामीणों की है। गिनी गांव के भक्त, देव डांगर रवाना हो चुके हैं। गिनी गांव के भक्त साढ़ेे दस हजार फीट की ऊंचे खलिया टॉप मार्ग पर पहुंचे हैं। होकरा और डोर के ग्रामीण रविवार की सुबह ग्लेशियर को रवाना होंगे। दोनों गांवों के ग्रामीण नामिक होते हुए नंदाकुं ड को जाएंगे । नंदाष्टमी के दिन तीनों गांवों के भक्त ब्रह्मकमल लेकर एक साथ बला , बिर्थी के नंदा मंदिर पहुंचेगे। जिनका ग्रामीण ढोल, नगाड़ों और ध्वज पताकाओं के साथ स्वागत करेंगे।
ब्रह्मकमल पुष्प के साथ भंवरा भी साथ लाएंगे
मान्यता है कि मां नंदा नंदा कुंड क्षेत्र में ग्लेशियर के आसपास ब्रह्मकमल के पुष्पों पर भंवरे के रूप में मंडराती है। भक्तजन वहां से मां नंदा के प्रतीक भंवरे को भी पुष्पों के साथ लाएंगे।
नैनीताल, जेएनएन : सरोवर नगरी में श्रीराम सेवक सभा की ओर से 118वांं श्री नंंदा देवी महोत्सव नैनीताल 23 अगस्त से 28 अगस्त तक प्रतिकात्मक रूप में आयोजित किया जा रहा है। नैनीताल में उत्तराखंड की कुलदेवी तथा कुमाऊंंनी संस्कृति एवं परम्परा का निर्वहन 1902 से श्री नंदा देवी महोत्सव के रूप में प्रारम्भ हुआ। 1918 से श्री राम सेवक सभा महोत्सव को आयोजित कर रही है। इस बार कोविड-19 की गाइडलाइंस का अनुपालन करते हुए नंंदा देवी धार्मिक अनुष्ठान परम्परा अनुसार सम्पन्न होंंगे। इस दौरान भारत सरकार एवं उत्तराखण्ड सरकार की गाइडलाइन तथा जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा। आयोजक संस्था के महासचिव जगदीश बवाड़ी ने बताया कि महोत्सव में इस बार कदली वृक्षों का नगर भ्रमण, भंडारा, में भंडारा, प्रसाद वितरण, डोला नगर भ्रमण जैसे कार्यक्रम नहीं होंगे। संस्था की ओर से श्रद्धालुओं से निवेदन किया गया है कि घरों में रहकर माँ नन्दा-सुनन्दा की पूजा-अर्चना करें।माँ नन्दा-सुनन्दा के दर्शन सीधा प्रसारण के माध्यम से किया जाएगा। एसडीएम विनोद कुमार के अनुसार मंदिर परिसर में लाइटिंग कर दी गई है। शाम को भ्रमण कर व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिलाधिकारी सविन बंसल की ओर से फिलहाल व्यवस्था के लिए दो लाख जारी किए हैं।
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