Move to Jagran APP

अल्‍मोड़ा के पत्थरकोट गांव में मिले प्रागैतिहासिक शैल चित्र, मानव सभ्‍यता के विकास की बयां कर रहे गाथा

विशाल शिलाखंडों का गांव पत्थरकोट जहां प्रागैतिहासिक रॉक पेंटिंग यानी विशाल शैलाश्रयों की दीवारों पर उकेरे गए चित्र मानव सभ्यता की गाथा बयां करते हैं

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jan 2020 08:02 PM (IST)
अल्‍मोड़ा के पत्थरकोट गांव में मिले प्रागैतिहासिक शैल चित्र, मानव सभ्‍यता के विकास की बयां कर रहे गाथा
अल्‍मोड़ा के पत्थरकोट गांव में मिले प्रागैतिहासिक शैल चित्र, मानव सभ्‍यता के विकास की बयां कर रहे गाथा

अल्मोड़ा, दीप सिंह बोरा : भारतीय संस्कृति का उद्भव, वैदिककालीन सभ्यता, संस्कार व परंपराओं का उद्भव उत्तराखंड की गिरि कंदराओं व नदियों के संगम पर ही हुआ। इसीलिए देवभूमि उत्तराखंड को अनादिकाल से धर्म, इतिहास व संस्कृति को मूल स्रोत भी माना गया है। तभी तो उद्भव के बाद मानव सभ्यता के विकास तथा प्राचीनतम पहली कलाओं में शुमार शैल चित्रों का अद्भुत संसार यहां पग-पग पर देखने को मिलते हैं। इन्हीं में एक है विशाल शिलाखंडों का गांव पत्थरकोट, जहां प्रागैतिहासिक रॉक पेंटिंग यानी विशाल शैलाश्रयों की दीवारों पर उकेरे गए चित्र मानव सभ्यता की गाथा बयां करते हैं।

prime article banner

चट्टानों पर शैल चित्रों की अद्भुत श्रृंखला

जनपद की मल्ला तिखून पट्टी स्थित पत्थरकोट गांव मानव सभ्यता की दुर्लभ निशानियों को वैज्ञानिक युग में संजोए है। यहां भीमकाय चट्टानों पर शैल चित्रों की अद्भुत श्रृंखला मानव सभ्यता उद्भव की गाथा बताती है। पत्थरकोट गांव में एक ही चट्टान पर दो दिशाओं में बने ये शैलचित्र प्रागैतिहासिक कालीन हैं, जब मानव पेड़ों से उतर गुफाओं में वास करने लगा था।

अब क्षरित हो चुके चित्र

प्रागैतिहासिक काल में मानव ने अपने आसपास जो भी घटनाक्रम देखा, समझा उसे चट्टानों की दीवारों पर रेखानुमा चित्र बनाए। पत्थरकोट गांव की चट्टानों पर भी ऐसे ही चित्र मिले हैं, जो अब मिटने की कगार पर हैं। कुमाऊं प्रभारी क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई चंद्र सिंह चौहान के मुताबिक ये रेखाचित्र मानव श्रंखला से जुड़े प्रतीत हो रहे। शैलचित्र पत्थरकोट की गुफाओं में रहने वाले मानवों की संख्या दर्शाती प्रतीत भी हो रही। मानो तब शैल चित्र बनाने वाले मानव यह बताने की कोशिश कर रहा हो कि इस इलाके में हम इतने लोग वास करते हैं। बहरहाल, पत्थरकोट गांव की रहस्यों से भरी चट्टानों ने शोध व अध्ययन के द्वार भी खोले हैं।

बीते वर्ष जागरण ने दिखाया था ओखलियां का संसार

मानव सभ्यता से जुड़े रहस्यों को संजोए पत्थरकोट गांव की अधिसंख्य चट्टानों में ओखलियां आज भी पाषाणकालीन सभ्यता की गवाही देती हैं। दैनिक जागरण ने बीती तीन अगस्त 2019 के अपने सबरंग अंक में बाकायदा इसी पत्थरकोट गांव का रहस्योद्घाटन भी किया था।

ऐपण से मिलते हैं प्रागैतिहासिक कालीन शैलचित्र

प्रागैहितिहासिक दौर की चित्रकला यानी शैल चित्र मौजूदा वैज्ञानिक युग मेें भी ऐपण, स्वास्तिक आदि के रूप में देखने को मिलती है। पुरातत्वविद् चंद्र सिंह चौहान कहते हैं कि मानव सभ्यता की पहली खूबी के रूप में विकसित ये शैलचित्र जीवन पर्यंत ऐपण के रूप में जिंदा है। यानी मानव सभ्यता के विकासक्रम के साथ ही विशेष चित्रांकन प्रत्येक काल में विकसित होने के बाद अब ऐपण के रूप में हब सबके सामने है।

मानव विकास के उद्भव को दर्शा रहे हैं चित्र

चंद्र सिंह चौहान, कुमाऊं प्रभारी क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई ने बताया कि पत्थरकोट की विशाल शिला में दो तरफ मिले ये शैलचित्र मानव सभ्यता के उद्भव व विकास क्रम को दर्शाते हैं। उच्च स्तर पर पत्राचार करेंगे ताकि इस दुर्लभ चट्टान का संरक्षण कर इस गांव को पर्यटन के रूप में नई पहचान दिलाई जा सके। 

यह भी पढ़ें : कुमाऊं विवि में असिस्टेंट प्रोफेसर पर नियुक्ति किसी की, ज्‍वाइनिंग लेटर किसी और को भेजा !

यह भी पढ़ें : सीआइडी इंस्पेक्टर नवीन का निधन, बेटी ने दी मुखाग्नि, ऑस्‍ट्रेलया से बेटे ने वीडियो कॉल कर किया अंतिम दर्शन 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.