उपनल व अनुभवी नर्सों को नियुक्ति में दी जाए वरीयता, संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ ने मेयर से की मुलाकात
सोमवार को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला को सौंपते हुए संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि डाक्टर भी लिखित परीक्षा नहीं देते हैं। आखिर हमें इस तरह क्यों मजबूर किया जा रहा है?
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी। उपनल व संविदा पर लंबे समय से अस्पतालों में कार्यरत नर्सेज परेशान हैं। सरकार से बार-बार लिखित परीक्षा टालने की गुहार लगा रहे हैं। सोमवार को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला को सौंपते हुए संविदा एवं बेरोजगार स्टाफ नर्सेज महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि डाक्टर भी लिखित परीक्षा नहीं देते हैं। आखिर हमें इस तरह क्यों मजबूर किया जा रहा है?
महासंघ के पदाधिकारियों की मांग है कि हमारे कई साथी महामारी के दौरान कोविड ड्यूटी करते हुए पॉजिटिव हो गए हैं। ऐसे साथी परीक्षा देने में असमर्थ हैं। वहीं पीएम नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले कहा था कि अगर किसी कर्मचारी ने कोविड में 100 दिन की ड्यूटी की है तो उसे स्थायी नियुक्ति में वरीयता दी जाएगी। महासंघ का कहना है कि हम लोग कई वर्षों से थोड़े से वेतन में काम कर रहे हैं। कोविड में दिन-रात ड्यूटी पर हैं। इसलिए हमारी मांगों पर ध्यान देना चाहिए। महासंघ की यह भी मांग है कि पहले नर्सेज के लिए डिप्लोमा ही अनिवार्य था और नियुक्ति मेरिट के आधार पर हो जाती थी।
अब डिग्रीधारियों को भी शामिल कर लिया गया है। यह न्यायोचित नहीं है। इस आदेश को बदलना चाहिए। उनका यह भी कहना है कि तमाम लोगों को डिप्लोमा हासिल किए हुए 11 वर्ष बीत गए हैं। ऐसे में लिखित परीक्षा कराना उचित नहीं है। जबकि डाक्टरों की नियुक्ति के लिए भी ऐसा नहीं होता है। उपनल व संविदा पर कार्य करने वाले स्टाफ नर्सों का कहना है कि सरकार हमारी मांग नहीं सुनती है तो 25 से 31 मई तक विरोध में काला फीता बांधकर विरोध जताया जाएगा। जून 2021 से सामूहिक रूप से परीक्षा अवकाश पर जाने को मजबूर होंगे। इसके चलते अस्पतालों में होने वाले परेशानी के लिए शासन व प्रशासन जिम्मेदार होगा। इस दौरान हेमा आर्या, मोनिका, विनोद, मनीष रौतेला, चंदू कफल्टिया आदि मौजूद रहे।
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