Move to Jagran APP

दिल्ली में नहीं मिला काम तो हुनर बना पहचान, प्रमोद ने हस्‍तशिल्प को बनाया आत्मनिर्भरता का जरिया

हर किसी में कुछ न कुछ हुनर होता है। लेकिन वह तब तक नहीं पता चलता है जब तक कि कोई ठोकर न लगे। और एक ठोकर आदमी की किस्मत बदल देती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2020 10:40 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2020 09:45 PM (IST)
दिल्ली में नहीं मिला काम तो हुनर बना पहचान, प्रमोद ने हस्‍तशिल्प को बनाया आत्मनिर्भरता का जरिया
दिल्ली में नहीं मिला काम तो हुनर बना पहचान, प्रमोद ने हस्‍तशिल्प को बनाया आत्मनिर्भरता का जरिया

बागेश्वर, चंद्रशेखर द्विवेदी : हर किसी में कुछ न कुछ हुनर होता है। लेकिन वह तब तक नहीं पता चलता है जब तक कि कोई ठोकर न लगे। और एक ठोकर आदमी की किस्मत बदल देती है। कुछ ऐसी ही कहानी है उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के प्रमोद शिवाशीष की। प्रमोद पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छे न थे। 12वीं का रिजल्ट खराब होने पर रोजगार के लिए दिल्ली का रुख कर लिया। लेकिन वहां काम की तलाश में दर-दर की ठाेकरें खाईं। उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश से निकलकर अचानक बेहद भागदौड़ भरी महानगर की जिंदगी उन्हें रास न आई। कुछ वक्त गुजरने के बाद उन्होंने लौटने पर अपने पहाड़ में ही कुछ करने मना बनाया। लेकिन क्या ? प्रमोद के लिए यह बड़ा सवाल था। फिर उन्होंने अपने भीतर के हुनर को पहचाना। वह हस्तकला में पारंगत थे। एेसे में प्रमोद ने तय किया कि कुछ और करने से बेहतर है कि अपने फन को ही रोजगार का जरिया बनाया जाए। इसमें उनके शिक्षक हरीश दफौटी का भी पूरा सहयोग मिला। अब प्रमोद किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उनके अनूठे और खूबसूरत हस्तशिल्पों की खूब डिमांड रहती है।

loksabha election banner

बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील के लमचूला निवासी प्रमोद शिवाशीष अपने हुनर का नया आयाम दे रहे हैं। मना और स्वभाव दाेनों से आर्टिस्ट प्रमोद की पढ़ने बहुत रुचि नहीं थ। यही कारण था दो साल पहले 12वीं में उनका रिजल्ट खराब हो गया। जिसके बाद उन्होंने रोजगार की तलाश में दिल्ली का रुख कर लिया। लेकिन रुचि का काम न मिलने और वहां अति व्यस्त और भागदौड़ भरी जिदंगी पसंद नहीं आई। निराशा और औसाद के उस दौर में पहाड़ लौटने का मन बनाया। उस फैसले के साथ यह संकल्प भी रहा कि अब कुछ अपना काम करूंगा। प्रमोद हस्तकला में पारंगत थे। इसकी जानकारी उनके शिक्षक हरीश दफौटी को हुई। उन्होंने उनके हुनर को पहचाना और उसी दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अब प्रमोद हस्तशिल्प कला का एक जाना पहचाना नाम है। उनकी बनाई कृतियों की खूब डिमांड होती है। ऐसे में अब उनका पैशन ही उनके रोजगार का जरिया बन गया है। जिसे वह नया आयाम देने की कोशिश में जुटे हैं।

राज्य स्तरीय प्रियोगिताओं में हाे चुके हैं सम्मनित

प्रमोद ने देहरादून में आयोजित कला उत्सव 2017 में राज्य स्तर पर शिल्पकला व पेंटिंग में दूसरा और वर्ष 2018 में राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया था। इसी वर्ष राष्ट्रीय कला उत्सव भोपाल में प्रमोद ने उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व किया। जहां प्रमोद के कार्य की प्रसिद्ध चित्रकार राजीव लोचन ने काफी सराहना की। उन्होंने प्रमोद को कालांजय कार्यशाला के माध्यम से बगेट शिल्प, पेंटिंग, टेराकोटा, पपरमैस्सी आदि का प्रशिक्षण दिया। प्रमोद अपनी कड़ी मेहनत और मजबूत इच्छाशक्ति से शिल्प कार्य में पारंगत हो गए हैं। इसके बाद वह हस्तशिल्प के तमाम प्रकार के उत्पाद बनाकर स्वरोजगार कर रह हैं। प्रमोद अपनी कला को आगमी दिनों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी लाएंगे।

प्राकृतिक संशाधनों से ही शिल्प को देते हैं आकार

प्रमोद बगेट की घड़ी, वॉल पेंटिंग, बागनाथ और केदारनाथ समेत अन्य मंदिरों की प्रतिकृतियां आदि बना रहे हैं। इनकी बाजार में काफी मांग है। लॉकडाउन में मंदी के बावजूद प्रमोद आसानी से अपने घर का खर्च चला रहे हैं। प्रमोद का कहना है कि वह घरों के आसपास की प्राकृतिक चीजों को उत्पाद बनाने में प्रयोग कर रहे हैं। इससे उन्हें महंगी लागत में कच्चा माल खरीदने से राहत मिल रही है। बताया कि पहाड़ों में पाई जाने वाली तमाम प्राकृतिक चीजों का उपयोग अपनी आजीविका के लिए किया जा सकता है। मैं पहाड़ के ही संशाधनों का प्रयोग करके शिल्पों का रचता हूं। हस्तशिल्पों की डिमांड भी खूब है। लोग इसके अच्छे दाम भी दे देते हैं। प्रमोद के गुरु सलानी जीआइसी के शिक्षक हरीश दफौटी का कहना है कि हस्तशिल्प की पहाड़ में अपार संभावनाएं है। इस दिशा में काम करने के लिए युवाओं को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। आने वाले समय में हस्तशिल्प के उत्पाद रोजगार का प्रमुख साधन बनके उभरेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.