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बूथों पर नहीं हो रहा था मतदान, और सेक्टर मजिस्‍ट्रेट निरंतर अपडेट कर रहे थे मतदान फीसद

1998 में हुए लोक सभा चुनाव की यादें भी काफी रोचक रहीं। तब जनपद में एकमात्र चम्पावत तहसील थी और एसडीएम लोहाघाट में बैठा करते थे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 12:26 PM (IST)Updated: Sat, 06 Apr 2019 12:26 PM (IST)
बूथों पर नहीं हो रहा था मतदान, और सेक्टर मजिस्‍ट्रेट निरंतर अपडेट कर रहे थे मतदान फीसद
बूथों पर नहीं हो रहा था मतदान, और सेक्टर मजिस्‍ट्रेट निरंतर अपडेट कर रहे थे मतदान फीसद

चम्पावत, जेएनएन : 1998 में हुए लोक सभा चुनाव की यादें भी काफी रोचक रहीं। तब जनपद में एकमात्र चम्पावत तहसील थी और एसडीएम लोहाघाट में बैठा करते थे। चुनाव के दौरान हुई दो घटनाओं ने प्रशासन की सांसें अटका दी थी। पहली घटना मौनपोखरी से जुड़ी हुई थी तो दूसरी जनपद के सबसे दूरस्थ क्षेत्र डांडा ककनई से। जहां लोगों ने विकास न होने पर चुनाव बहिष्कार किया। मतदान के लिए पोलिंग पार्टियां भी पहुंची, लेकिन लोगों ने मतदान नहीं किया था। मगर, एक सेक्टर मजिस्टे्रट चम्पावत में बैठकर कंट्रोल रूम को निरंतर मतदान फीसद बताते रहे। यह घटना आज भी लोगों के जेहन में है।

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1998 के लोक सभा चुनाव में अल्मोड़ा संसदीय क्षेत्र से पूर्व सीएम हरीश रावत व बच्ची सिंह रावत मैदान में थे। चुनाव भी दिलचस्प था। जिसमें बच्ची सिंह रावत ने जीत दर्ज की थी। उस समय भी गोरलचौड़ से ही पोलिंग पार्टियां रवाना होती थी। चुनाव बैलेट पेपर से हुआ करते थे। सेक्टर बड़े बनते थे। चुनाव के दौरान अफवाह फैली की मौनपोखरी बूथ पर बैलेट पेपर मोडऩे में गड़बड़ी हो रही है। जिससे स्याही एक प्रत्याशी से दूसरे प्रत्याशी के आगे भी फैल जा रही है। शिकायत पर पहुंचे सेक्टर मजिस्ट्रेट ने वहां पहुंचे लोगों को घर भेज दिया और तीन दिन बाद पुन: चुनाव किए जाने की बात कहकर आगे चले गए। जब यह बात एआरओ को पता चली तो उन्होंने बूथ पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली और पुन: मतदान शुरू कराया। मतदाताओं को वापस बुलाया गया।

इसी चुनाव में विकास न होने पर जनपद के दूरस्थ डांडा, ककनई व बुडम के ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार किया था। पोलिंग के लिए पार्टिंयां भी पहुंच गई, लेकिन ग्रामीणों ने वोट नहीं दिया। जब तीनों बूथों पर पोलिंग किए जाने की सूचना मिली तो क्षेत्र के एक पत्रकार ने कंट्रोल रूम से जानकारी ली। पता चला कि 20 फीसद पोलिंग हो चुका है। सूचना देने वाले सेक्टर मजिस्ट्रेट के बारे में पता किया गया तो जानकारी मिली कि वह तो शराब के नशे में धुत हैं। वह चम्पावत में बैठकर ही सूखीढांग क्षेत्र के सेक्टर मजिस्ट्रेट की ड्यूटी निभा रहा है और बगैर पोलिंग हुए मतदान प्रतिशत बता रहे हैं। मतदान का समय समाप्त होने पर पिथौरागढ़ में तीनों बूथों के खाली बॉक्स जमा किए गए। तब तत्कालीन डीएम ने दोनों मामले में दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।

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