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India-Nepal tension : प्रचंड के तेवर से ढीली पड़ी ओली की अकड़, बॉर्डर पर दिखने लगा असर

नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (नेकपा) के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के तेवर तीखे होते ही भारत विरोधी सुर बयां करने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अकड़ ढीली पड़ गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 08:57 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 09:32 AM (IST)
India-Nepal tension : प्रचंड के तेवर से ढीली पड़ी ओली की अकड़, बॉर्डर पर दिखने लगा असर
India-Nepal tension : प्रचंड के तेवर से ढीली पड़ी ओली की अकड़, बॉर्डर पर दिखने लगा असर

हल्द्वानी, अभिषेक राज : नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (नेकपा) के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के तेवर तीखे होते ही भारत विरोधी सुर बयां करने वाले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की अकड़ ढीली पड़ गई है। इसका असर भारत से लगती सीमा पर भी दिखने लगा है। यहां आनन फानन खोली गईं बीओपी बंद होनी शुरू हो गई हैं। इसका असर उत्तराखंड से लगायत उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम तक दिखेगा।

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अभी उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से लगती सुदूर पश्चिम नेपाल सीमा पर खोली गई उक्कू व बलारा बॉर्डर आउट पोस्ट (बीओपी) को बंद किया गया। यहां तैनात जवान बटालियन मुख्यालय में लौटेंगे। इसके बाद बाकू, बुरकिल और विनायक बीओपी को भी हटाया जाएगा। इससे दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों के हालात सामान्य होंगे। आवाजाही भी आसान होगी।

प्रचंड की भूमिका से बदलाव की उम्मीद

आठ मई के बाद नेपाल से तेजी से बदले रिश्तों के बीच अब प्रचंड की सक्रियता से बेहतरी की उम्मीद है। हाल के दिनों में उनके बयान से तो यही लग रहा है। जून के आखिरी सप्ताह में उन्होंने ओली की तरफ इशारा करते हुए साफ कहा कि किसी की व्यक्तिगत राजनीति के लिए भारत से रिश्ते खराब नहीं होने दूंगा। आज नेपाल में भारत की छवि पाकिस्तान जैसी बन गई है। यह गलत है।

प्रचंड से भी ओली की दगाबाजी

बात चाहे 2015 के प्रलयंकारी भूकंप की हो या फिर नेपाल में आई भीषण बाढ़, हर मौके पर ओली को भारत से पूरा समर्थन और सहयोग मिला, लेकिन सत्ता के लिए ओली ने भारत के साथ ही सहयोगी पुष्प कमल दहल प्रचंड से भी दगाबाजी की। करीब तीन साल पहले लोकतांत्रिक संविधान लागू होने के बाद केंद्रीय प्रतिनिधि सभा की 165 सीटों के लिए पहला आम चुनाव हुआ। इसमें ओली और प्रचंड मिलकर लड़े और बहुमत भी हासिल किए। दोनों में ढाई-ढाई साल सरकार चलाने का समझौता हुआ। अब जब सत्ता हस्तांतरण का समय आया तो मुकर गए। यहीं से नेकपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड से उनकी तल्खी बढ़ी। अभी प्रचंड के साथ ही पार्टी के स्थायी समिति के एक तिहाई सदस्य भी ओली के खिलाफ हैं।

सत्ता सुख के लिए भारत विरोध

ओली ने सत्ता सुख के लिए भारत का भी विरोध शुरू कर दिया। पहले उन्होंने लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी पर अतिक्रमण का मुद्दा उठाया। इसके बाद इन्हें अपने नक्शे में शामिल कर लिया। हिन्दी को भी प्रतिबंधित कर दिया और सीमावर्ती क्षेत्रों में एक के बाद एक लगातार 89 बीओपी खोलने की घोषणा कर दी।

पार्टी में ही बढ़ी मुश्किल

सत्तारुढ दल नेकपा के भीतर ही ओली का विरोध तेज हो गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल व पूर्व पार्टी अध्यक्ष झालनाथ खनाल ने ओली को अक्षम करार दे दिया। प्रचंड खुद उनसे इस्तीफा मांग चुके हैं।

प्रचंड ने धैर्य के साथ किया इंतजार

ढाई साल के अपने शासन की प्रतीक्षा प्रचंड ने बड़े धैर्य के साथ की। ओली की तबीयत बिगड़ी। उन्हें अपनी दूसरी किडनी के ऑपरेशन के लिए अस्पताल में दाखिल होना पड़ा। लगा कि वह स्वास्थ्य कारणों से प्रचंड को सत्ता हस्तांतरित कर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अलबत्ता सत्ता जाने के भय से ओली ने एक बार फिर देश भक्ति का आवरण ओढ़ लिया।

सत्ता सुख के लिए ओली की पांच चाल

1 -भारत पर सरकार गिराने का आरोप मढ़ा।

2-पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने ओली से बातकर मिलने की इच्छा जताई।

3-भारत से ब्याह कर लाई गई बहुओं को नागरिकता सात साल बाद।

4-भारतीय क्षेत्रों को अपने नक्शे में किया शामिल।

5-नेपाली एफएम से भारत विरोधी कार्यक्रम का प्रसारण।

तेजी से बदले घटनाक्रम

26 जून : नेकपा के कार्यकारी अध्यक्ष प्रचंड ने मांगा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से इस्तीफा

27 जून : नेकपा (माओवादी) स्थायी समिति की बैठक। सदस्यों ने ओली से प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष दोनों पदों से मांगा इस्तीफा

30 जून : ओली ने राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से की मुलाकात

03 जुलाई : ओली ने प्रचंड से की मुलाकात

04 जुलाई : नेकपा स्थायी समिति की बैठक

05 जुलाई : प्रचंड और ओली की तीसरी बार मुलाकात, नहीं निकल सका हल

06 जुलाई : स्थायी समिति की बैठक, ओली के भविष्य का होगा फैसला

अंतरराष्ट्रीय झूलापुल बंद होने से भारतीय बैंक से पेंशन नहीं निकाल पा रहे नेपाली पेंशनर्स

देश में मिलने वाली तितलियों का कुनबा बढ़ा, अरुणाचल में दो नई प्रजातियां म‍िलीं 


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