छह लाख जुर्माना भरने के बाद भी नहीं दिख रहा सुधार
तमाम जागरूकता अभियान, छापेमारी और जुर्माने की कार्रवाई के बाद भी पॉलीथिन पर प्रतिबंध नहीं लग पा रहा है।
By Edited By: Published: Wed, 12 Sep 2018 12:09 AM (IST)Updated: Wed, 12 Sep 2018 01:32 PM (IST)
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : तमाम जागरूकता अभियान, छापेमारी और जुर्माने की कार्रवाई के बाद भी लोगों का पॉलीथिन मोह छूट नहीं रहा। शहर के साथ छोटे कस्बों में पॉलीथिन की थैलियों, स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए हानिकारक थर्माकॉल का उपयोग जारी है। आलम यह है कि व्यापारी लाखों रुपये जुर्माना भर चुके हैं, लेकिन पॉलीथिन का प्रयोग बंद नहीं कर रहे हैं। हल्द्वानी नगर निगम ने पिछले ढाई साल में 6.24 लाख रुपये नकद जुर्माना वसूला है। कोर्ट कार्रवाई के दर्जनों मामले लटके हुए हैं। यह राशि शामिल की जाए तो करोड़ों में पहुंचती है। हैरानी की बात है कि न व्यापारी पॉलीथिन रखना बंद करते हैं और न लोग ही झोला साथ ले जाने की आदत डाल पा रहे हैं। नहीं छूट रहा पॉलीथिन का मोह पॉलीथिन का मोह किस कदर है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि व्यापारी कई बार जुर्माना भर दे रहे हैं, लेकिन पॉलीथिन रखना बंद नहीं कर रहे। नगर निगम के एक अधिकारी ने बताया कि एक फड़ व्यवसायी महीने में 15 हजार रुपये (तीन बार में) जुर्माना दे चुका है। तीन वर्षो में पॉलीथिन पर नकद जुर्माना वित्तीय वर्ष जुर्माना वसूला 2016-17 2.84 लाख 2017-18 1.61 लाख 2018-19 1.69 लाख (नोट : 2018-19 के आंकड़े 9 सितंबर तक, कोर्ट कार्रवाई की राशि शामिल नहीं है) व्यापारी ने कहा, पॉलीथिन का गोदाम मेरा नहीं मंगलपड़ाव स्थित दो गोदामों में शनिवार रात पकड़े गए पॉलीथिन के जखीरे के मामले में एक व्यापारी ने खुद का गोदाम होने से इन्कार किया है। नगर निगम में दिए पत्र में व्यापारी ने कहा है कि उसे अखबार की खबर से गोदाम को अपना बनाने की जानकारी मिली। कहा है कि गोदाम मालिक कौन है इसकी विभागीय जांच हो। जब्त माल का आकलन जारी शनिवार शाम पकड़े गए पॉलीथिन, डिस्पोजल के जखीरे के मामले में आकलन जारी है। एक व्यापारी ने पत्र देकर जुर्माना चुकाने की बात स्वीकारी है। एसएनए विजेंद्र चौहान ने बताया कि आकलन व नगर आयुक्त के निर्देश के बाद कार्रवाई होगी। डीएम को भेजी रिपोर्ट जिलाधिकारी विनोद कुमार सुमन ने चार दिन पहले नगर निगम ने पॉलीथिन पर तीन सालों में कई कार्रवाई का ब्योरा मांगा था। निगम ने ब्योरा तैयार कर डीएम कार्यालय को भेज दिया है। रिपोर्ट में जुर्माने की राशि का ब्योरा तो है लेकिन पकड़े गए माल की मात्रा अधिक होने से उसकी गिनती संभव न होने की बात कही गई है।
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