स्वाइन फ्लू भारत जैसे देश में ले सकता है तीन लाख लोगों की जान
स्वाइन फ्लू का संक्रमण बीमार व्यक्ति के खांसने, छींकने या अन्य तरीकों से निकलने वाली द्रव की बूंदों से होता है।
हल्द्वानी, जेएनएन : स्वाइन फ्लू का संक्रमण बीमार व्यक्ति के खांसने, छींकने या अन्य तरीकों से निकलने वाली द्रव की बूंदों से होता है। इसका वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश करने के बाद एक से चार दिन के अंदर अपना असर दिखाने लगता है। बीमारी के लक्षणों का पता चलते ही तुरंत अस्पताल चले जाना चाहिए। समय पर उपचार कराने से बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है। यह जानकारी रविवार को दैनिक जागरण के हैलो डॉक्टर में संक्रामक रोग विश्लेषक नंदन कांडपाल ने दी।
ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू सुअरों पर होने वाला संक्रामक रोग है, लेकिन कई बार सुअर के संपर्क में आने पर यह मनुष्यों में भी फैल जाती है। इससे वायरल बुखार होने लगता है। इसका वायरस छह डिग्री से 26 डिग्री तक के तापमान तक सक्रिय रहता है। यही कारण है की बरसात के बाद मौसम में आई नमी व सर्दी के दिनों में ये बीमारी तेजी से फैलती है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- - सर्दी-जुकाम होना
- - नाक से पानी बहना
- - नाक बंद होना
- - गले में खरांश
- - सर्दी-खांसी व बुखार
- - सिर व शरीर दर्द
- - थकान लगना
- - दस्त व उल्टी होना
बचाव के लिए ये करें
- - छींकते या खांसते समय मुंह ढंक कर रखें
- - घर पर रहें व दूसरों से दूरी बनाए रखें
- - आराम करें
- - पेय पदार्थों का भरपूर सेवन करें
- - चिकित्सकीय सलाह अवश्य लें
- - बाहर जाते समय मास्क पहनें
दिल्ली से कराई जाती है जांच
स्वाइन फ्लू की जांच के लिए खून के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्यूनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) दिल्ली को भेजे जाते हैं। रिपोर्ट एक सप्ताह में आती है।
टीबी, दमा रोगियों के लिए अधिक खतरा
एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा विषाणु से कम उम्र के बच्चों के लिए जोखिम अधिक होता है। दमा रोगियों में पहचान करना थोड़ा कठिन होता है। क्योंकि स्वाइन फ्लू संक्रमण में कुछ ऐसे ही लक्षण होते हैं। मधुमेह व हृदय रोगियों को भी लक्षणों के पता होते ही चेकअप कराना चाहिए। जांच के बाद उपचार किया जा सकता है। इसके लिए कई दवाइयां भी आती हैं। यह बीमारी गर्भावस्था के दौरान व बच्चों में भी अधिक तेजी से फैलती है।
अगर फैला तो लाखों जानें जाएंगी
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार स्वाइन फ्लू महामारी के उच्चतम स्तर पर दुनियाभर की 30 प्रतिशत आबादी संक्रमित हो सकती है। भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में इसकी 0.1 प्रतिशत मारकता भी तीन लाख से अधिक मौतों का कारण बन सकती है। फिलहाल इसकी मारकता 0.5 से एक प्रतिशत के बीच आंकी गई है। संक्रामक रोग विश्लेषक का कहना है कि जागरूकता बढ़ रही है। इसलिए इस बीमारी पर नियंत्रण भी आसान होगा।
इन्होंने ली जानकारी
हल्द्वानी गैस गोदाम रोड से रागिनी खन्ना, कुसुमखेड़ा से ज्योति जोशी, सूर्यभान सिंह, जगदीप जोशी, लालकुआं से रमेश पांगती, कालाढूंगी से मनोहर श्याम, नैनीताल से ललित आर्य, दीपक गुणवंत आदि ने फोन कर जानकारी हासिल की।
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