आइसीएमआर के नए दिशा-निर्देश प्लाज्मा डोनेशन की जरूरत नहीं, इस थेरेपी से इलाज हुआ बंद
जहां दो दिन पहले तक कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल को लेकर हायतौबा मची हुई थी। वहीं अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के नए दिशा-निर्देश के बाद इस थेरेपी से इलाज बंद हो गया है।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : जहां दो दिन पहले तक कोरोना संक्रमित गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल को लेकर हायतौबा मची हुई थी। वहीं अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) के नए दिशा-निर्देश के बाद इस थेरेपी से इलाज बंद हो गया है। शहर के सरकारी व निजी चिकित्सालयों ने भी इस तरह की थेरेपी का इस्तेमाल रोक दिया है।
डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल में ही 500 और शहर के 13 निजी अस्पतालों में भी 402 से अधिक कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं। इनमें प्रतिदिन 15 से 20 मरीजों को प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की सलाह दी जा रही थी। प्लाज्मा के लिए स्वजन इधर-उधर भटकने को मजबूर थे। शहर में ही सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इंटरनेट मीडिया पर तमाम ग्रुप बनाए हैं। जिसकी वजह से लोग प्लाज्मा डोनेट कर एक-दूसरे की मदद कर रहे थे। प्लाज्मा डोनेशन के लिए एक-दूसरे को प्रेरित भी किया जा रहा था।
यहां तक जिला प्रशासन ने भी इसके लिए पूरा सिस्टम ही तैयार किया था। लोग पोर्टल पर खुद ही पंजीकरण कर अपना ब्लड ग्रुप अपडेट करने लगे थे, लेकिन जैसे ही 17 मई को आइसीएमआर ने कोरोना के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को हटाने के दिशा-निर्देश जारी किए। इसके बाद से ही अधिकांश अस्पतालों ने प्लाज्मा थेरेपी से इलाज की प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी है।
पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार प्लाज्मा थेरेपी से कम इलाज हो रहा था। अब नई गाइडलाइन आते ही इस थेरेपी से इलाज बंद कर दिया गया है। निर्धारित गाइडलाइन के आधार पर अन्य दवाइयों से कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
डा. यतेंद्र, डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल
आइसीएमआर के अलावा इंग्लेंड का रिकवरी ट्रायल और अर्जेंटीना के शोध में स्पष्ट था कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में किसी तरह की राहत मिलती है। अब नई गाइडलाइन के आधार पर इस तरह की थेरेपी से इलाज बंद कर दिया गया है।
डा. गौरव सिंघल, नीलकंठ अस्पताल
अस्पतालों से गंभीर मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा की लगातार डिमांड आ रही थी। एसटीएच से लेकर निजी अस्पतालों में भी मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया जा रहा था। प्लाज्मा के लिए डोनर की व्यवस्था के लिए हमारी टीम लगातार जुटी रही।
मनोज कालाकोटी, सामाजिक कार्यकर्ता
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