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मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 99 पीजी इंटर्न डाक्टर पूर्ण बहिष्कार पर, कॉलेज प्रशासन ने कैंपस खाली करने के दिए निर्देश

राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 99 पीजी इंटर्न पूर्ण बहिष्कार पर चले गए हैं। सोमवार को ड्यूटी छोड़कर कॉलेज के प्रशासनिक भवन के आगे धरने पर बैठ गए। अपनी मांग को लेकर जिद पर अड़े डाक्टरों को कॉलेज प्रशासन ने कैंपस खाली करने के लिए कह दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 21 Jun 2021 02:53 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jun 2021 02:53 PM (IST)
मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 99 पीजी इंटर्न डाक्टर पूर्ण बहिष्कार पर, कॉलेज प्रशासन ने कैंपस खाली करने के दिए निर्देश
मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 99 पीजी इंटर्न डाक्टर पूर्ण बहिष्कार पर, कॉलेज प्रशासन ने कैंपस खाली करने के दिए निर्देश

हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के 99 पीजी इंटर्न पूर्ण बहिष्कार पर चले गए हैं। सोमवार को ड्यूटी छोड़कर कॉलेज के प्रशासनिक भवन के आगे धरने पर बैठ गए। अपनी मांग को लेकर जिद पर अड़े डाक्टरों को कॉलेज प्रशासन ने कैंपस खाली करने के लिए कह दिया है। एमबीबीएस के बाद एक साल के लिए मेडिकल कॉलेज में कार्यरत इंटर्नशिप करने वाले डाक्टर केवल साढ़े सात हजार रुपये मासिक मानदेय मिलने से नाराज हैं।

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डाक्टरों को काम करते हुए दो माह हो गए हैं। कोविड ड्यूटी में भी जुटे रहे। उन्हें कोविड ड्यूटी के समय 60 हजार रुपये मासिक मानदेय दिए जाने का भी आश्वासन दिया गया था। इंटर्न डाक्टरों का कहना है कि हमारी मांग है कि हमें अन्य राज्यों की तरह हमें भी 23500 रुपये मानदेय दिया जाए। इसके लिए हम प्राचार्य के माध्यम से कई बार ज्ञापन दे चुके हैं। पहले चरण में 40 डाक्टर ही धरने पर गए। इसके बाद भी सरकार न हमारी बात नहीं सुनी। अब हम मजबूर होकर पूर्ण बहिष्कार करने को बाध्य हैं।

प्राचार्य पहुंचे और कहा, यह धरना देने की जगह नहीं

धरना दे रहे डाक्टरों को समझाने के लिए प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा मौके पर पहुंचे। उन्हें कार्य बहिष्कार समाप्त करने के लिए कहा गया। इंटर्न डाक्टरों ने मांग पूरी होने पर ही धरना खत्म करने की बात कही। इस पर प्राचार्य ने कहा कि यह जगह धरना देने के लिए नही है। आप लोग कैंपस खाली कर दें। ऐसा नहीं करने पर कानूनी कार्रवाई करने को बाध्य होना पड़ेगा।

अन्य राज्यों में 30 हजार रुपये तक मिल रहा मानदेय

इंटर्न डाक्टर अजित तिवारी का कहना है कि अगर डाक्टरों के साथ इस तरह का भेदभाव किया जाता रहेगा, तो कौन इस पेशे में आना चाहेगा। वहीं हड़ताल की वजह से डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में वार्ड से लेकर ऑपरेशन थिएटर में दिक्कत हो रही है। इन जगहों पर सबसे अधिक काम यही इंटर्न डाक्टर देखते हैं। हालांकि कॉलेज प्रशासन का कहना है कि व्यवस्था प्रभावित नहीं हुई है।

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