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पूरी सेलरी की मांग को लेकर मेडिकल काॅलेज के पीजी डाक्टरों ने किया कार्य बहिष्कार

राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्द्वानी में एमडी व एमएस की पढ़ाई कर रहे पीजी के विद्यार्थी फिर भड़क गए हैं। उनकी मांग है कि उन्हें पूरा वेतन दिया जाए लेकिन सरकार सुन नहीं रही है। आक्रोशित डाक्टरों ने सोमवार को कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 10:28 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 04:37 PM (IST)
पूरी सेलरी की मांग को लेकर मेडिकल काॅलेज के पीजी डाक्टरों ने किया कार्य बहिष्कार
पूरी सेलरी की मांग को लेकर मेडिकल काॅलेज के पीजी डाक्टरों ने किया कार्य बहिष्कार

हल्द्वानी, जेएनएन : राजकीय मेडिकल काॅलेज हल्द्वानी में एमडी व एमएस की पढ़ाई कर रहे पीजी के विद्यार्थी फिर भड़क गए हैं। उनकी मांग है कि उन्हें पूरा वेतन दिया जाए, लेकिन सरकार सुन नहीं रही है। आक्रोशित डाक्टरों ने सोमवार को कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है।

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स्वास्थ्य विभाग में तैनाती पा चुके राज्य में करीब 50 डाक्टर हल्द्वानी व श्रीनगर मेडिकल कालेज में पीजी की पढ़ाई कर रहे हैं। इन डाक्टरों का कहना है कि उन्हें तीन साल पहले तक स्वास्थ्य विभाग से पीजी करने वाले डाक्टरों को पूरा वेतन दिया जाता था, लेकिन इसके बाद इसे आधा कर दिया गया। जबकि उनसे पूरा काम लिया जाता है।

हल्द्वानी मेडिकल कालेज के डा. मोहित का कहना है कि पूरा वेतन दिए जाने की मांग को लेकर वह लगातार आंदोलन कर रहे हैं। विभागीय अधिकारियों से लेकर मंत्री व जनप्रतिनिधियों के चक्कर काट चुके हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। अब बहिष्कार करने को मजबूर होना पड़ रहा है। जबकि हम लोग लगातार कोराना मरीजों के इलाज में जुटे हैं।

जनवरी में सीएम ने की थी घोषणा

पीजी करने वाले डाक्टरों ने कहा कि सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनवरी, 2020 में पूरा वेतन दिए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद से वह इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनकी घोषणा का भी कोई असर नहीं हुआ।

ये है वेतन की स्थिति

मेडिकल कालेजों में एमडी व एमएस की पढ़ाई करने वाले इन डाक्टरों को 33 से 40 हजार रुपये वेतन मिल रहा हे। जबकि इन्हें स्वास्थ्य विभाग की ओर से ड्यूटी के दौरान 80 से 90 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन मिल रहा था। राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डाॅ. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि पीजी डाक्टरों से बात की जाएगी। इनकी मांग शासन को अवगत करा दिया गया है। शासन स्तर से ही इसमें निर्णय होना है।


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