लामाचौड़ व कमलुवागांजा के ग्रामीणों के लिए राहत, निहाल नदी से जारी होंगे परमिट
लामाचौड़ व कमलुवागांजा क्षेत्र के लोगों के लिए अच्छी खबर है। 15 दिन के अंदर निहाल नदी से हक-हकूक का रेता निकलने लगेगा। शासन से अनुमति मिल चुकी है। परमिट के दायरे में आने वाले ग्रामीणों द्वारा रेंज कार्यालय में आवेदन भी किए जाने लगे हैं।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : लामाचौड़ व कमलुवागांजा क्षेत्र के लोगों के लिए अच्छी खबर है। 15 दिन के अंदर निहाल नदी से हक-हकूक का रेता निकलने लगेगा। शासन से अनुमति मिल चुकी है। परमिट के दायरे में आने वाले ग्रामीणों द्वारा रेंज कार्यालय में आवेदन भी किए जाने लगे हैं। हालांकि अभी यह फाइनल नहीं हुआ कि नदी से कितने घनमीटर निकासी होगी।
गौला से क्रशरों व निजी स्टाक के लिए भी उपखनिज निकाला जाता है। इसके अलावा कुछ गांवों को नदी बंद होने से ठीक पहले परमिट पर रेता दिया जाता है। परमिट मिलने पर रायल्टी का पैसा नहीं लगता। जिससे रेता काफी कम दामों में मिल जाता है। वहीं, फतेहपुर रेंज में पडऩे वाली निहाल नदी सिर्फ हक-हकूक के परमिटधारियों के लिए एक-ड़ेढ़ माह के लिए खुलती है। गजट नोटिफिकेशन के तहत पहले से चिन्हित गांवों के लोगों को जमीन से जुड़े कागज दिखाने के बाद परमिट के लिए आवेदन करना होता है। जिसके बाद वह रेता निकासी कर सकते हैं।
परमिट का गलत इस्तेमाल भी
नियमों के मुताबिक हक-हकूक के तहत रेता निकासी का परमिट उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने शौचालय, घर या गौशाला का निर्माण करना होता है। परमिट की मदद से मिले रेते का इस्तेमाल कामर्शियल भवन में नहीं किया जा सकता। इसके अलावा क्रशर व अन्य जगहों पर बिक्री पर भी पाबंदी होती है। ऐसे करने पर वन विभाग वाहन को सीज करने के साथ रेते के स्टाक भी जब्त कर सकता है। उसके बावजूद कई लोग हक-हकूक के नाम पर रेता बेचते भी हैं। पिछले सीजन में दो ट्रक, एक जेसीबी सीज करने के साथ स्टाक भी नीलाम किया गया था।