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India-Nepal Border Dispute: उत्तराखंड के तीन गांवों से दर्जनों आइएएस-आइपीएस, उस गांव पर ही नेपाल ने किया दावा

नेपाल ने अपने नए नक्शे में पिथौरागढ़ जिले के जिन गांवों गुंजी कुटी और नाबी को शामिल किया है वह गांव भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों का गढ़ हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 08:55 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jun 2020 08:38 AM (IST)
India-Nepal Border Dispute: उत्तराखंड के तीन गांवों से दर्जनों आइएएस-आइपीएस, उस गांव पर ही नेपाल ने किया दावा
India-Nepal Border Dispute: उत्तराखंड के तीन गांवों से दर्जनों आइएएस-आइपीएस, उस गांव पर ही नेपाल ने किया दावा

नैनीताल, जेएनएन : चीन सीमा लिपुलेख तक सड़क बनने के बाद नेपाल की नीयत भारतीय सीमा की तरफ डोल रही है। विरोध जताते हुए नेपाल ने अपने नए नक्शे में पिथौरागढ़ जिले के जिन गांवों गुंजी, कुटी और नाबी को शामिल किया है वह गांव भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों का गढ़ हैं। करीब तीन हजार की आबादी वाले तीनों गांवों से 20 से अधिक आइएएस, आइपीएस और पीसीएस देश की सेवा कर रहे हैं। यहां के युवा सेना, आइटीबीपी, बैंक और रेलवे में उच्च पदों पर आसीन हैं। सेवानिवृत्त आइजी मोहन सिंह बंग्याल बताते हैं कि एसडीआरएफ चीफ व आइजी संजय गुंज्याल, बिहार में आइएएस विनोद गुंज्याल, आइपीएस विमला गुंज्याल, बीएसएफ में डीआइजी केएस गुंज्याल, आइपीएस धीरेंद्र गुंज्याल गुंजी गांव के ही रहने वाले हैं।

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नाबी गांव की बात करें तो आइएएस अजय नबियाल, नैनीताल उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष व पूर्व जिला जज उत्तम सिंह नबियाल, सीओ आरएस नबियाल यहीं से हैं। पूर्व मुख्य सचिव एनएस नपलच्याल, सूचना आयुक्त आइएएस सीएस नपलच्याल, डीआइजी एनएस नपलच्याल इसी क्षेत्र के नपलच्यु गांव के रहने वाले हैं। पूर्व आइएएस पीएस कुटियाल, उत्तर प्रदेश में आइपीएस हेमंत कुटियाल, पूर्व आइएएस एमएस कुटियाल इस क्षेत्र के कुटी गांव के रहने वाले हैं और इन लोगों ने अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। वहीं, पूर्व आइएएस डीएस गर्ब्‍याल, पौड़ी गढ़वाल के डीएम धीराज गर्ब्‍याल, उत्तर प्रदेश में एडीएम एमएस गर्ब्‍याल, अपर आयुक्त आबकारी पीएस गर्ब्‍याल भी इसी क्षेत्र के गब्र्यांग गांव के रहने वाले हैं। इनके अलावा क्षेत्र के दर्जनों युवा चिकित्सा, बैंक व अन्य क्षेत्रों में अपनी सेवा दे रहे हैं।

सरनेम से ही पता चल जाता है गांव का

सीमांत के गांवों के नाम से वहां रहने वाले लोगों की जाति या सरनेम भी स्पष्ट हो जाता है। जैसे गुंजी के गुंज्याल, नपलच्यू के नपलच्याल, गर्ब्‍यांग के गर्ब्‍याल, कुटी के कुटियाल और नाबी के नबियाल आदि। इसे अपनी जन्मभूमि के प्रति आदर व समर्पण ही कहेंगे कि वर्षों से दूसरे जिलों व प्रदेशों में जॉब कर रहे स्थानीय लोग धार्मिक पर्व व सामाजिक कार्यों के दौरान गांव जरूर पहुंचते हैं। समाज के वार्षिक समारोह में तो चाहे बड़ा अफसर हो या छोटा कर्मचारी हर हाल में जरूर पहुंचता है। यही बात यहां के लोगों को आपस में जोड़े रखती है और गांवों को आबाद रखे हुए है। यहां के लोग देश के लिए समर्पित और आदर भाव का जज्बा खुद के भीतर भरे हुए हैं। 

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