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कूड़े के 'पहाड़' पर हल्‍द्वानी में किया योग, बोले-हवा जहरीली होगी तो योग का क्‍या फायदा

हल्द्वानी के गौलापार में बने ट्रंचिंग ग्राउंड के विरोध में बनभूलपुरा संघर्ष समिति के सदस्यों ने गंदगी के बीच योग कर अनूठे अंदाज में विरोध जताया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 21 Jun 2020 09:01 AM (IST)Updated: Sun, 21 Jun 2020 09:01 AM (IST)
कूड़े के 'पहाड़' पर हल्‍द्वानी में किया योग, बोले-हवा जहरीली होगी तो योग का क्‍या फायदा
कूड़े के 'पहाड़' पर हल्‍द्वानी में किया योग, बोले-हवा जहरीली होगी तो योग का क्‍या फायदा

नैनीताल, जेएनएन : अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर जब दुनिया घर में रहकर योग कर रही है, वहीं हल्द्वानी के मुस्लिम बाहूल इंदिरानगर के लोगों ने अनोखे अंदाज में योग दिवस मनाया। पीछे कूड़े का पहाड़ और आगे योग करते लोग। खुद की सेहत के लिए किए अनुलोम-विलोम के जरिये लोग प्रशासनिक अफसरों को की सुस्ती को तोड़ना चाहते हैं। जिस कारण उन्हें ट्रंचिंग ग्राउंड के पास योगासन करना पड़ा। बाकायदा फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। इंदिरानगर जन विकास समिति के बैनर तले आयोजित योग कार्यक्रम में तसलीम अंसारी, सरताज आलम, पार्षद जाकिर हुसैन, रोहित कुमार, तौफिक अहमद और अन्य स्थानीय युवा शामिल रहे।

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इसलिए किया अनोखा योग

गौला बाइपास रोड के किनारे बने ट्रंचिंग ग्राउंड पर पिछले सात वर्षों का शहर का कूड़ा डंप किया जा रहा है। दो साल पहले प्रदेश सरकार ने ट्रंचिंग ग्राउंड के बराबर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को मंजूरी दी। वन विभाग ने जमीन भी हस्तांतरित कर दी। शासन ने 33.97 करोड़ के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी। नगर निगम ने काम शुरू किया, लेकिन अभी तक प्लांट नहीं बन पाया है। अभी केवल बाउंड्री वॉल का निर्माण हो पाया है। ट्रंचिंग ग्राउंड के कचरे में आए दिन आग लगती रहती है। इससे उठने वाला जहरीला धुआं इंदिरानगर की बड़ी आबादी के लिए मुसीबत बनता है। स्थानीय लोग ट्रंचिंग ग्राउंड को शिफ्ट करने की मांग करते आ रहे है। निगम प्रशासन ट्रीटमेंट प्लांट बनने के बाद धुएं और प्रदूषण की समस्या के समाधान होने का दावा करता है।

प्लांट बनने में क्यों है देरी

साल 2018 में हाई कोर्ट की फटकार के बाद नगर निगम ने नौ माह में प्लांट तैयार करने की बात कही। सिविल वर्क का काम शुरू हुआ। करीब चार हेक्टेयर में फैले क्षेत्र को बाउंड्री वाॅल से घेर लिया गया है। पूर्व योजना के अनुरूप यहां कंपोस्ट बेस्ड प्लांट बनना था। बाद में देहरादून और दूसरे शहरों के अनुभव को देखते हुए प्लांट को वेस्ट टू एनर्जी बेस्ड आधारित बनाने पर विचार किया गया। मेयर की अध्यक्षता वाली कमेटी की बैठक में इस पर फैसला होना था। कोरोना संकट के कारण अभी मामला अटका हुआ है।

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