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पटाखों के बजाय पारंपरिक चीजों की तरफ बढ़ रहा रुझान, लोकल उत्पादों बढ़े रोजगार के अवसर

दीपावली में जलाए जाने वाले पटाखे पर्यावरण व सेहत को ही नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि मोटी रकम भी इसमें व्यय हो जाती है। पटाखों में व्यय होने वाली धनराशि से कई परिवारों के चेहरे पर रौनक लाई जा सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 13 Nov 2020 06:06 PM (IST)Updated: Fri, 13 Nov 2020 06:06 PM (IST)
पटाखों के बजाय पारंपरिक चीजों की तरफ बढ़ रहा रुझान, लोकल उत्पादों बढ़े रोजगार के अवसर
पटाखों के बजाय पारंपरिक चीजों की तरफ बढ़ रहा रुझान, लोकल उत्पादों बढ़े रोजगार के अवसर

हल्द्वानी, जेएनएन : दीपावली में जलाए जाने वाले पटाखे पर्यावरण व सेहत को ही नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि मोटी रकम भी इसमें व्यय हो जाती है। पटाखों में व्यय होने वाली धनराशि से कई परिवारों के चेहरे पर रौनक लाई जा सकती है। त्योहार के बहाने लोकल उत्पादों को बढ़ाया दिया जाए तो कई लोगों के लिए आत्मनिर्भरता की राहत तैयार हो सकती है। स्वरोजगार की दिशा में काम कर रही महिला संगठनों की प्रतिनिधि कहती हैं कि बदलते समय के साथ लोगों की सोच में बदलाव आया है। कई लोग जहरीले पटाखों से दूरी बनाकर सौहार्द और खुशियों की दीवाली मना रहे हैं।

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दूसरों के घरों को किया रोशन

इनरव्हील क्लब ने टीम थाल सेवा के साथ मिलकर गौलापार खेड़ा क्षेत्र में झुग्गी में रहने वाले परिवारों को सोलर लालटेन भेंट की। यहां अध्यक्ष दीपा तिवारी, नीरजा बोरा, पुष्पा भट्ट आदि मौजूद रहे। टीम थाल सेवा ने डा. भूपेंद्र बिष्ट, योगेश पंत, नंदनी साहनी, केके पांडे आदि के सहयोग से 48 श्रमिक परिवारों को सोलर लालटेन दी।

हमारे समिति से प्रशिक्षण लेकर 50 से अधिक समूहों ने स्वरोजगार की दिशा में काम शुरू किया है। दिल्ली से सामग्री मंगाकर मोमबत्ती, आकर्षक दीये तैयार कर रहे हैं।

-गीता सत्यवली, अध्यक्ष गिरिजा बुटीक महिला विकास समिति

दीपावली पर महंगे पटाखों की जगह स्थानीय उत्पादों को बढ़ाया देकर आजीविका में सहयोग दिया जा सकता है। कई लोग इसे समझते हुए हमारे पास आ रहे हैं।

-नीलम पंत, अध्यक्ष मां वैष्णो समूह

पिछले कुछ वर्षों में लोगों में स्थानीय उत्पादों के प्रति लगाव बढ़ा है। दीवाली में महंगे पटाखों के बजाय लोग मोमबत्ती, दीये खरीद रहे। दूसरों को उपहार बांट रहे।

-आशा बिष्ट, अध्यक्ष खुशी समूह

हमसे प्रशिक्षण लेने के बाद कई महिलाओं ने स्वरोजगार, ऐपण बनाने का काम शुरू किया। लोगों में पारंपरिक वस्तुओं के प्रति रुचि बढ़ी है। यह अच्छा संकेत है।

-सोनी पंत, अध्यक्ष महिला मंगल दल


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