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इतने सारे इंतजाम के बाद भी पिथौरागढ़ जिले में लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा पानी

पानी की कीमत नहीं समझने वालों को ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए। पहाड़ से निकलकर जो नदियां देश भर के लोगों का गला तर करती हैं उसी पानी के लिए पहाड़ के लोग तरस रहे हैं। जलश्रोतों से जैसे-तैसे काम चलाते हैं लेकिन वह श्रोत भी अब सूख रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 05:56 PM (IST)
इतने सारे इंतजाम के बाद भी पिथौरागढ़ जिले में लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा पानी
इतने सारे इंतजाम के बाद भी पिथौरागढ़ जिले में लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा पानी

नाचनी (पिथौरागढ़) संवाद सूत्र : पानी की कीमत नहीं समझने वालों को ये खबर जरूर पढ़नी चाहिए। पहाड़ से निकलकर जो नदियां देश भर के लोगों का गला तर करती हैं, उसी पानी के लिए पहाड़ के लोग तरस रहे हैं। जलश्रोतों से जैसे-तैसे काम चलाते हैं, लेकिन वह श्रोत भी अब सूख रहे हैं। पिथौरागढ़ जिले में नौ हजार फीट की ऊंचाई से लोगों तक पानी पहुंचाने के लिए 60 किमी लंबी पाइपों का जाल बिछाया गया है। इन पाइपों में पानी ग्रेविटी सिस्‍टम से खींचा जाता है। लेकिन बीते साल आई आपदा ने पाइपों को क्षतिग्रस्‍त कर दिया है। जिस कारण लोगों तक पानी लिफ्ट नहीं हो पा रहा है। बचे-खुचे प्राकृतिक श्रोतों से लोग अपना काम चला रहे हैं। 

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इस साल बारिश के साथ बर्फबारी भी बेहद कम हुई। ऐसे में प्राकृतिक जलस्रोत रीचार्ज नहीं हो पाए। वहीं आपदा ने पिथौरागढ़ जिले में नौ हजार फीट की ऊंचाई वाले कालामुनि गधेरे से तल्ला जोहार के सुंदरीनाग तक बनी करीब साठ किमी लंबी पेयजल योजना को भी ध्‍वस्‍त कर दिया है। दुर्भाग्य है कि नौ हजार फीट की ऊंचाई वाले स्रोत से करीब साढ़े पांच हजार फीट की ऊंचाई तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। हर साल आपदा काल में इस योजना की पाइप लाइन बह जाती है । इस बार जहां आपदा में पेजयल लाइन बही वहीं बारिश और हिमपात की कमी से कालामुनि के स्रोत पर भी पानी घट चुका है।

क्षेत्र की सबसे बड़ी कालामुनि- सुंदरीनाग पेयजल योजना का निर्माण वर्ष 1990 के दशक में हुआ। इस योजना से पहाड़ी के ऊंचाई वाल गांव समकोट, भालाधुरा, राया धुरा, मल्ला भैंस्कोट होते हुए सुंदरीनाग स्थित टैंक तक पहुंचता है। टैंक से फिर पानी की आपूर्ति कोट्यूड़ा, तल्ला भैंस्कोट, कापावा, रातोली, राया बजेता और भुजगड़ नदी घाटी के हुपुली तक पहुंचता है। पेयजल लाइन ध्वस्त होने से इन सभी गांवों में पेयजल नहीं पहुंच रहा है। ग्रामीण गांव के सूख रहे जल स्रोतों पर आश्रित हैं। बारिश की कमी से इस बार जलस्रोतों के सूखने की गति भी तेज हो रही है।

सात वर्षों से पेयजल योजना पर लगा है ग्रहण 

2014 में इस योजना की मरम्मत के लिए दो करोड़ की धनराशि व्यय की गई। वर्ष 2014-15 में इस क्षेत्र में आई आपदा से पेयजल योजना पर ग्रहण लग गया। करीब सात साल होने को आ रहे हैं योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। सुंदरीनाग स्थित टैंक सूख चुका है। पेयजल निगम, डीडीहाट मो. इस्लाम, अभियंता ने बताया कि कालामुनि-सुंदरीनाग पेयजल योजना मुनस्यारी तहसील की सबसे लंबी पेयजल योजना है। योजना में कुछ स्थानों पर पाइप लाइन पूरी तरह बह चुकी है। दूसरे चरण का कार्य प्रारंभ हो रहा है। कार्य तेजी से किया जा रहा है ताकि इस महत्वपूर्ण पेयजल योजना में जलापूर्ति सुचारु हो सके।

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