अमानवीयता : जिम्मदारी से बचने व पहचान छुपाने के लिए बेजुबानों के कान तक काट दे रहे लोग
जानवरों के कानों में टैग लगाया जा रहा है। नंबर के आधार पर उसके मालिक की पहचान जांची जा सकती है। जब गाय दूध देना बंद कर देती हैं तो उन्हें आवारा छोड़ देते हैं। ऐसे में कई लोग गायों के कान काटने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : नारों और जुमलों में गाय को माता कहने का चलन आम है। लेकिन हल्द्वानी की सड़कों पर हकीकत इन जुमलो से कोसों दूर दिखाई दे रही है। गाय के नाम पर मजहबी सियासत करने वाले लोग दूध देने तक ही उसे माता मानते हैं, उसके बाद सड़कों पर आवारा फिरने के लिए छोड़ दे रहे हैं। जहां गाय यातायात व बेरहम लोगों की चपेट में आकर घायल हो रही है। इन्हीं घायल गायों को रेस्क्यू कर उनका इलाज करने का बीड़ा हल्द्वानी के कुछ युवाओं ने उठाया है। जिसमें पीली कोठी निवासी गीतांशु, अब्दुल गुर्जर, सनी पठान सहित 15 लोगों की समर्पित टीम है।
जानवरों की पहचान करने के लिए पशुपालन विभाग में उनके कानों में टैग लगाने की मुहिम छेड़ी है। जिसमें बड़ी संख्या में पालतू जानवरों के कानों में टैग लगाया जा रहा है। जिसमें लिखे नंबर के आधार पर उसके मालिक की पहचान ऑनलाइन तरीके से जांची जा सकती है। ऐसे में गाय व दूसरे पालतू जानवर जब तक काम के होते हैं तब तक तो उन्हें लोग अपने घरों में रखते हैं, वही जब गाय दूध देना बंद कर देती हैं तो उन्हें लोग आवारा छोड़ देते हैं। ऐसे में अपनी पहचान छुपाने के लिए कई लोग गायों के कान काटने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। गायों के संरक्षण के लिए बनाए गए ट्रस्ट आदि श्रीधाम के प्रमुख अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया कि लोग गायों के टैग के साथ कान काट दे रहे हैं। ऐसे करीब 15 से 20 मामले उनके सामने आ चुके हैं। जिसमें ट्रस्ट गायों के इलाज के कार्य में लगा हुआ है।
युवाओं ने समझा बेजुबानों का दर्द
हल्द्वानी में आवारा फिर रहे घायल बेजुबानों का दर्द दूर करने के लिए 15 युवा मिलकर कार्य कर रहे हैं। आदि श्री धाम ट्रस्ट की नींव अधिवक्ता दीपक जोशी, अधिवक्ता बसंती बिष्ट, सुनील पुंडीर आदि ने मिलकर की थी। जिसमें 18 वर्षीय छात्र गीतांशु जोशी, नौकरी पेशा सनी पठान, पुलिस अधिकारी रुचि जोशी, पूनम, हाउसवाइफ निकिता सुयाल, ब्यूटी पार्लर चलाने वाली मंजू तिवारी, गौशाला सहायक अब्दुल, सोनू, दीपक शाह व चिकित्सकीय पेशे में डाक्टर विवेक, डाक्टर कांडपाल, डाक्टर दुर्गापाल आदि मिलजुल कर जिम्मेदारी उठा रहे हैं। जिसमें कहीं पर भी शहर में घायल जानवर की सूचना मिलने के बाद उसका रेस्क्यू करते हैं और पंचायत घर के पास बने केयर टेकर सेंटर में रखकर जानवर का इलाज किया जाता है। जरूरत पड़ने पर उसे कालाढूंगी के आगे कमोला धमोला में स्थित गौशाला में भेज दिया जाता है। अधिवक्ता दीपक जोशी ने बताया कि यदि आवारा पशु घायल अवस्था में मिलता है तो उसकी सूचना 95363 88888 पर दें। उनकी टीम फौरन रेस्क्यू करके उसका इलाज करेगी।
पशु सरंक्षण कार्यकर्ता एडवोकेट मेघना ने बताया कि पशुओं के साथ हिंसा करने पर पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धारा 11 के तहत जुर्माने का प्रावधान है। जिसमें 2000 रुपये जुर्माना लगाया जाता है, जिसे नहीं देने पर तीन माह के कारावास की सजा का प्राविधान। भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के तहत भी सजा का प्राविधान है।