खनन नीति व स्टोन क्रशर लाइसेंस को लेकर पीसीबी ने दाखिल किया जवाब
हाई कोर्ट ने राज्य की खनन नीति अवैध खनन बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के संचालित तथा आबादी क्षेत्र में संचालित स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर अगली सुनवाई पहली सितंबर को नियत कर दी है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : हाई कोर्ट ने राज्य की खनन नीति, अवैध खनन, बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति के संचालित तथा आबादी क्षेत्र में संचालित स्टोन क्रशर के खिलाफ दायर जनहित याचिकाओं पर अगली सुनवाई पहली सितंबर को नियत कर दी है। इस मामले में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल कर दिया गया है।
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में बाजपुर निवासी रमेश लाल, मिलख राज, रामनगर निवासी शैलजा साह, त्रिलोक चंद्र, जयप्रकाश नौटियाल, आनंद सिंह नेगी, सुनील मेहरा समेत अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई होनी थी। याचिकाओं में खनन नीति को चुनौती देने के साथ ही स्टोन क्रशरों द्वारा किए जा रहे अवैध खनन, पीसीबी के मानकों का उल्लंघन करने आदि बिन्दु उठाए गए हैं।
शैलजा साह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि अल्मोड़ा के मासी में रामगंगा नदी के किनारे से 60 मीटर दूरी पर स्टोन क्रशर लगाया गया है, जो पीसीबी के नियमों के विरुद्ध है। बाजपुर के रमेश लाल की जनहित याचिका में कहा है कि कोसी नदी में स्टोन क्रशर मालिको द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है। रामनगर के आनंद नेगी की जनहित याचिका में कहा गया है कि अभी तक सरकार ने ध्वनि प्रदूषण जोन घोषित नहीं किए हैं। सरकार जहां मर्जी वहां स्टोन क्रशर लगाने की अनुमति दे रही है। मामले में अधिवक्ता आदित्य प्रताप सिंह ने पीसीबी की ओर से जवाब दाखिल कर दिया है। जिसे कोर्ट में रिकार्ड में ले लिया है।