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पौड़ी संसदीय क्षेत्र से जिसे भी सांसद बनाकर भेजा गया उसने रामनगर की उपेक्षा की

लोकसभा चुनाव में बेशक राजनीतिक दल इन दिनों अपने प्रत्याशियों के गुणा भाग में लगे हों लेकिन आम मतदाताओं में अभी से चुनाव को लेकर गली और चौराहों पर चर्चाएं भी तेज हो गई है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 05:47 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 05:47 PM (IST)
पौड़ी संसदीय क्षेत्र से जिसे भी सांसद बनाकर भेजा गया उसने रामनगर की उपेक्षा की
पौड़ी संसदीय क्षेत्र से जिसे भी सांसद बनाकर भेजा गया उसने रामनगर की उपेक्षा की

रामनगर, जेएनएन : लोकसभा चुनाव में बेशक राजनीतिक दल इन दिनों अपने प्रत्याशियों के गुणा भाग में लगे हों, लेकिन आम मतदाताओं में अभी से चुनाव को लेकर गली और चौराहों पर चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। पिछले 10 वर्षों से रामनगर को पौड़ी संसदीय क्षेत्र में शामिल किए जाने का दंश झेल रहे हैं। लोगों का कहना है कि पौड़ी से जिसे भी सांसद बनाकर भेजा गया उसने रामनगर की उपेक्षा की है। पांच सालों में सांसद का रामनगर विधानसभा में न आना चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग कानाफूसी करते दिखाई देने लगे हैं कि पांच सालों में हमारे द्वारा चुने गए सांसद कितनी बार इस क्षेत्र में आए। कितनी समस्या का समाधान उनके द्वारा किया गया। यह एक बड़ा मुद्दा है। 

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बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में मेजर जनरल (रि.) बीसी खंडूरी को लोस चुनाव में जनता ने संसद में भेजा था, लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनके यहां न आने से लोगों को निराशा ही हाथ लगी। यह बात दीगर है कि सांसद खंडूरी अपने खराब स्वास्थ्य के चलते रामनगर विधानसभा में नहीं आ पाए, लेकिन उनके रामनगर न आने की वजह जनता तक किसी ने पहुंचाने की जहमत तक नहीं पहुंचाई। ऐसे में विपक्ष भी मुद्दे को लपकने के लिए तैयार बैठा है। केवल खंडूरी ही नहीं 2009 में यहां से कांग्रेस से जनता ने सतपाल महाराज को चुनकर भेजा था। सतपाल महाराज भी चुनाव जीतने के बाद रामनगर में जनता से मिलने जरूर आए लेकिन उनके  द्वारा की गई कई महत्वपूर्ण घोषणाएं भी हवा हवाई रही। मसलन मालधन तुमडिया डाम में नौका विहार, आमडंडा फूलताल नाले में टनल बनाने, वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा दिलाने जैसी घोषणा भी अधर में लटकी पड़ी हैं। असल में चर्चा है कि जब तक वह नैनीताल संसदीय क्षेत्र के मतदाता थे तो अक्सर सांसद से नैनीताल, ऊधमसिंह नगर में मिलकर अपनी समस्या उन तक पहुंचा देते थे। लेकिन जब से उन्हें पौड़ी से जोड़ा गया है तब से वह अपने सांसद से मिलने के लिए परेशान रहते हैं। क्योंकि रामनगर से पौड़ी की दूरी लगभग ढाई सौ किमी की है। रामनगर विधानसभा के एक लाख से अधिक मतदाता खुद को उपेक्षित जरूर महसूस कर रहे है। इस बार भी भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम अपनी चुनावी वैतरणी पार लगाने की कोशिश में हैं।

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