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देर रात बंदियों को एसटीएच के दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने पर मरीजों ने किया हंगामा

मानसिक रोग विभाग से भागे तीन बंदियों को पकडऩे के बाद एसटीएच प्रशासन ने यहां भर्ती सभी नौ बंदियों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने का फैसला लिया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 11:37 AM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 11:37 AM (IST)
देर रात बंदियों को एसटीएच के दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने पर मरीजों ने किया हंगामा
देर रात बंदियों को एसटीएच के दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने पर मरीजों ने किया हंगामा

हल्द्वानी, जेएनएन : मानसिक रोग विभाग से भागे तीन बंदियों को पकडऩे के बाद एसटीएच प्रशासन ने यहां भर्ती सभी नौ बंदियों को दूसरे वार्ड में शिफ्ट करने का फैसला लिया। जिसे लेकर एच वार्ड में हंगामा खड़ा हो गया। यहां भर्ती कोरोना मरीजों ने कहा कि बंदियों के साथ रहने पर उनकी जान को खतरा है। इसे लेकर उनकी डॉक्टरों व पुलिसकर्मियों से जमकर बहस हुई। जिसके बाद देर रात नौ लोगों को के वार्ड में भर्ती किया गया। तीन लोगों के फरार होने और दूसरे वार्ड में हंगामे की वजह सिर्फ शौचालय की खिड़की में ग्रिल का नहीं होना था।

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एसटीएच के प्रथम तल पर मानसिक रोग विभाग है। जिसमें सिर्फ संक्रमित बंदियों को रखा जाता है। वर्तमान में यहां नौ लोगों को रखा गया। वार्ड के बाहर 24 घंटे ताला रहता है। डॉक्टर के राउंड पर आने, सफाई व भोजन बांटने के दौरान दरवाजा खोला जाता है। पुलिस के मुताबिक बुधवार शाम पांच बजे करीब अस्पताल स्टाफ बंदियों को चाय देने के लिए गए। इस दौरान गिनती में ट्रांजिंट कैंप रुद्रपुर निवासी ध्रुव विश्वास, करबला अल्मोड़ा निवासी राजेंद्र बोरा व कनकपुर बैलपड़ाव निवासी मनकीत गायब नजर आए।

अन्य मरीजों ने बताया कि तीनों शौचालय की तरफ गए हैं। वहां नजर दौड़ाने पर पता चला कि तीनों शौचालय की खिड़की में ग्रिल नहीं होने का फायदा उठाकर फरार हो गए। जिसके बाद पुलिस को भी सूचना दी गई। जिस पर सीओ शांतनु पराशर, कोतवाल संजय कुमार, मेडिकल चौकी इंचार्ज मनवर सिंह बिष्ट टीम के साथ फरार बंदियों की तलाश में जुट गए। साढ़े सात बजे करीब तीनों एसटीएच के पीछे हरिपुरा सूखा की रोड पर पुलिस को मिल गए। जिसके बाद उन्होंने दोबारा वार्ड में भर्ती कराया गया।

बंदियों के दोबारा मानसिक रोग विभाग से भागने के डर से इन्हें शिफ्ट कर एच वार्ड में लाया गया तो लोगों ने विरोध शुरू कर दिया। यहां भर्ती मरीजों का कहना था कि आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से उनकी जान को खतरा हो सकता है। हंगामा बढऩे पर इन्हें के वार्ड में रखा गया है। इस वार्ड में सिर्फ बंदियों को रखा गया है।


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