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बेस अस्पताल हल्द्वानी में सीटी स्कैन और डिजिटल एक्सरे मशीन खराब, परेशानी झेल रहे मरीज

सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 अस्पताल बनाए जाने के बाद बेस अस्पताल पर दबाव बढ़ गया है। उम्मीद थी कि वहां बेहतर इलाज मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

By Edited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 03:14 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 09:30 AM (IST)
बेस अस्पताल हल्द्वानी में सीटी स्कैन और डिजिटल एक्सरे मशीन खराब, परेशानी झेल रहे मरीज
बेस अस्पताल हल्द्वानी में सीटी स्कैन और डिजिटल एक्सरे मशीन खराब, परेशानी झेल रहे मरीज

हल्द्वानी, जेएनएन : सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 अस्पताल बनाए जाने के बाद बेस अस्पताल पर दबाव बढ़ गया है। उम्मीद थी कि वहां बेहतर इलाज मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पिछले एक महीने से सीटी स्कैन और डिजिटल एक्सरे मशीन खराब है। इसे ठीक करने की कवायद कहीं से भी नजर नहीं आ रही है।

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जबकि अस्पताल प्रबंधन स्वास्थ्य महानिदेशालय को पांच बार पत्र भेज चुका है। आलम यह है कि शासन को इसकी जानकारी तक नहीं दी गई है। अस्पताल में मौजूद सीटी स्कैन सेवा के लिए रोजाना करीब दस मरीज बेस अस्पताल पहुंचते है। इन मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है। इनमें अधिकांश मरीज गरीब हैं। डिजिटल एक्सरे भी 12 से 15 लोगों का हो जाता था। अब गरीब मरीज निजी केंद्रों में महंगी जांच कराने को मजबूर हैं।

आखिर भुगतान करने में क्यों हुआ विलंब

स्वास्थ्य विभाग की ओर कंपनी को सीएमसी (कॉम्प्रिहेंसिव मेंटीनेंस कॉन्ट्रैक्ट) के तहत दी जाने वाली रकम के अलावा पूर्व में किए गए कार्य की धनराशि का भुगतान भी नहीं किया गया। यह रकम करीब 23 लाख रुपये है। इसके चलते कंपनी भी मेंटीनेंस के लिए भी कर्मचारी नहीं भेज रही है। यही स्थिति डिजिटल एक्सरे मशीन की है। प्रतिदिन 30 मरीजों की जांच हो जाया करती थी। अब रेफर कर दिया जाता है।

निराश होकर मरीजों को लौटना पड़ा

अबरार हुसैन, लाइन नं - 17 ने कहा कि सीटी स्कैन मशीन के खराब होने से यहां जांच नहीं हो पाई। जिस कारण मजबूरन हमें निजी अस्पताल में जाना पड़ा। इससे परेशानी तो हुई ही, साथ ही अधिक पैसे भी खर्च करने पड़े। रतन सिंह, प्रतापपुर गौलापार ने बताया कि स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं को लेकर हम पूरी तरह से इस अस्पताल पर ही निर्भर रहते है, लेकिन यहां मौजूद सेवाओं के बीमार रहने से हमारी परेशानी और भी बढ़ जाती है। मारूफ अंसारी, इंदिरा नगर ने कहा कि डिजिटल एक्सरे मशीन खराब पड़ी है। ऐसे में परेशान भटकना पड़ता है। निजी अस्पताल में जांच के लिए जाना पड़ा। यह मशीन अक्सर खराब हो जाती है। प्रेम बेलवाल, सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है कि बार-बार मशीन खराब हो जाती है। इसके चलते दूरदराज क्षेत्रों से पहुंचने वाले गरीब मरीजों को फजीहत झेलनी पड़ती है। स्वास्थ्य सेवाओं में इस तरह की लापरवाही ठीक नहीं।

मशीन खराब होने की अब तक नहीं मिली सूचना

डॉ. पंकज पांडे, प्रभारी सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि हर सप्ताह समीक्षा बैठक होती है। पिछले एक महीने में दो बार खुद मुख्यमंत्री भी बैठक में शामिल हो चुके हैं। जिले के डीएम व सीएमओ भी बैठक में रहते हैं, लेकिन किसी ने मशीन के खराब होने की सूचना नहीं दी। अगर मशीन खराब है तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा। जहां तक भुगतान करने का सवाल है, बजट की कमी नहीं है। मेंटीनेंस के लिए बजट जारी करवा दिया जाएगा।

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