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पूर्व प्रमुख ने दुष्‍कर्म पीडि़ता की मदद का किया प्रचार, जानिए कैसे पड़ गया भारी

मदद करना और मदद करने का प्रचार करना दाेनों में जमीन-आसमान का फर्क है। मदद के प्रचार करने के दंश से इन दिनों एक नेता जी मारे मारे फिर रहे हैं। आइए बताते हैं कैसे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 10:10 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 10:10 AM (IST)
पूर्व प्रमुख ने दुष्‍कर्म पीडि़ता की मदद का किया प्रचार, जानिए कैसे पड़ गया भारी
पूर्व प्रमुख ने दुष्‍कर्म पीडि़ता की मदद का किया प्रचार, जानिए कैसे पड़ गया भारी

नैनीताल (जेएनएन) : मदद करना और मदद करने का प्रचार करना दाेनों में जमीन-आसमान का फर्क है। मदद के प्रचार करने के दंश से इन दिनों एक नेता जी मारे मारे फिर रहे हैं। आइए बताते हैं कैसे। रामगढ़ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख लाखन सिंह नेगी को दुष्कर्म पीडि़ता की मां को आर्थिक मदद देने का वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट करना महंगा पड़ गया। पॉक्सो कोर्ट ने इसे गंभीर कृत्य मानते हुए पूर्व ब्लॉक प्रमुख को नोटिस जारी कर तलब कर लिया, जिसके बाद पूर्व प्रमुख ने पॉक्सो कोर्ट में सरेंडर कर दिया। हालांकि बाद में कोर्ट ने उसे जमानत दे दी।

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पिछले दिनों रामगढ़ क्षेत्र की नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगाने और उससे दुष्कर्म का मामला सामने आया था। इस मामले में नथुवाखान क्षेत्र के सूरज चिलवाल, गौलापार बागजाला के इशरत, उसका दोस्त शाकिर जेल में बंद हैं। पिछले दिनों पीडि़ता की मां को रामगढ़ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख लाखन नेगी ने आर्थिक मदद प्रदान दी थी। इसका वीडियो बनवाकर उसने सोशल मीडिया में अपलोड कर दिया। जिससे पीडि़ता और उसके परिवार की पहचान उजागर हो गई। पिछले सप्ताह विशेष न्यायाधीश पॉक्सो हल्द्वानी की कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए पूर्व ब्लॉक प्रमुख को नोटिस जारी कर तलब कर लिया। सोमवार को पूर्व ब्लॉक प्रमुख ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया। दो साल से कम की सजा वाले अपराध के प्रावधान को देखते हुए कोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली।

पाॅक्‍सो अधिनियम के तहत होगी कार्रवाई

बहादुर सिंह पाल, वरिष्ठ अधिवक्ता जिला कोर्ट, नैनीताल ने बताया कि पॉक्सो अधिनियम के सेक्शन-23(2) में उल्लेख किया गया है कि किसी भी हालत में पीडि़ता की पहचान उजागर नहीं की जाएगी। ऐसा करना अपराध माना जाएगा और इस अपराध के तहत न्यूनतम एक साल व अधिकतम दो साल सजा का प्रावधान है। इस मामले में वीडियो सोशल मीडिया में जारी करने से पीडि़ता की पहचान उजागर हुई। पॉक्सो अधिनियम के साथ दुष्कर्म, दुष्कर्म की कोशिश से संबंधित मामलों में पीडि़ता की पहचान उजागर करना गंभीर अपराध है।

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