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बजट के कारण बागेश्वर में नहीं बन सका आक्सीजन जनरेशन प्लांट, कोविड परीज परेशन

पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदतर हैं। ऐसे में महामारी के दौर में संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है। बागेश्वर में आक्सीजन जनरेशन प्लांट नहीं होने से कोविड संक्रमितों की दिक्कतें बढ़ सकती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 08:21 AM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 08:21 AM (IST)
बजट के कारण बागेश्वर में नहीं बन सका आक्सीजन जनरेशन प्लांट, कोविड परीज परेशन
बजट के कारण बागेश्वर में नहीं बन सका आक्सीजन जनरेशन प्लांट, कोविड परीज परेशन

बागेश्वर, जागरण संवाददाता : पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदतर हैं। ऐसे में महामारी के दौर में संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है। बागेश्वर में आक्सीजन जनरेशन प्लांट नहीं होने से कोविड संक्रमितों की दिक्कतें बढ़ सकती है। जिला कोविड हेल्थ केयर व कोविड केयर सेंटर आक्सीजन सिलेंडरों के भरोसे ही चल रह है। एक करोड़ 14 लाख से प्रस्तावित आक्सीजन जनरेशन प्लांट पैसों के कारण नहीं बन रहा है। गंभीर संक्रमितों को रेफर ही किया जा रहा है।

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एक साल बाद भी शासन-प्रशासन की कोविड-19 महामारी को लेकर तैयारी अधूरी ही दिखाई दे रही है। जिले में वर्तमान में एक 26 बिस्तरों का जिला कोविड हेल्थ केयर सेंटर और 50 बेडों का डिग्री कालेज में कोविड केयर सेंटर खोला गया है। जहां पर कोरोना के संक्रमित मरीजों को रखा जा रहा है। जिला अस्पताल के पास स्थित डीसीएचसी कोविड अस्पताल में दो वेंटिलेटर है। जरुरत पडऩे पर यह वेंटिलेटर जंबो आक्सीजन सिलेंडर से चलाए जाते है। ऐसे ही प्रत्येक बेड में आक्सीजन की सप्लाई की जाती है। इसके अलावा 50 बेड के कोविड केयर सेंटर में आक्सीजन सिङ्क्षलडरों की व्यवस्था की गई है। स्वास्थ्य महकमे का दावा है कि वर्तमान में प्र्याप्त आक्सीजन सिङ्क्षलडरों की व्यवस्था है।

गंभीर मरीजों के लिए नही है व्यवस्था

महामारी के एक साल बाद भी जिले में गंभीर संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए कोई व्यवस्था नही है। मुख्यालय में संक्रमितों के इलाज के लिए डेडिकेटेड कोविड हास्पिटल नही है। डीसीएच सुशीला तिवारी अस्पताल हल्द्वानी है। इसी कारण गंभीर संक्रमित रोगियों को वहीं भेजा जा रहा है।

छह घंटे में पहुंचते हैं हल्द्वानी

अगर किसी गंभीर मरीज को रेफर किया जाता है तो उसे हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्तपाल भेजा जाता है। यहां पहुंचने में 6 घंटे लगते है। इसके लिए स्वास्थ्य महकमे के पास 8 एंबुलेंस है।

एक हजार बेडों के लिए जगह च‍िहिंत

जिलाधिकारी विनीत कुमार ने बताया कि अभी 5 करोड़ की धनराशि है। जिससे इस महामारी से निपटने के लिए काम में प्रयोग में लाया जाएगा। जिले में एक हजार बेडों की अतिरिक्त व्यवस्था की जा रही है। जगह च‍िहिंत कर ली गई है।

वैक्सीन नही हुई उपलब्ध

स्वास्थ्य महकमे का अभी तक रेमिडेसिविर दवाई उपलब्ध नही हुई है। स्वास्थ्य विभाग में डिमांड दी है। अब दवा आने का इंतजार किया जा रहा है।

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