खुद की गाढ़ी से कमाई, किराये की गाड़ी से नुकसान, वाेल्वो को नहीं मिल पा रही सवारियां
सवारियों की कमी के कारण कमाई तो दूर अधिकांश चक्कर में ठेकेदार को भुगतान करने वाले पैसे तक नहीं निकल पा रहे। आनलाइन चलाने पर उठाए सवाल अनुबंधित वाल्वो के आनलाइन संचालन को लेकर रोडवेज कर्मचारी भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: रोडवेज की दिल्ली रूट पर चलने वाली वाल्वो को अभी यात्री नहीं मिल पा रहे। स्थिति यह है कि रवानगी समय के तीन-तीन घंटे बाद तक यह गाडिय़ां बस स्टेशन पर खड़ी रह जा रही है। जिसके बाद बामुश्किल गिने-चुने लोग बस में सवार हो रहे हैं। जबकि निगम को अनुबंध के हिसाब से वाल्वो मालिक को पूरा भुगतान करना पड़ता है। ऐसे में रोडवेज खुद की निजी बसों की कमाई इन वाल्वो के संचालन पर लुटा रहा है।
परिवहन निगम के लिए दिल्ली रूट कमाई वाला माना जाता है। हर डिपो की सामान्य बसें अप-डाउन के बाद अच्छी औसत निकालती है। मगर यात्रियों को और बेहतर सुविधा देने के लिए निगम किराये की वाल्वो व एसी बस चलाता है। मुख्यालय स्तर से अनुबंध होने के बाद डिपो को यह बसें भेजी जाती है। कोरोना की दूसरी लहर के बाद जुलाई लास्ट से वाल्वो को चलाया जाने लगा। वर्तमान में तीन सुबह व तीन वाल्वो शाम को संचालित होती है। एक सीट का किराया 819 रुपये हैं। जबकि निगम संचालन के ऐवज में दिल्ली रूट पर मालिक को करीब 16 हजार रुपये भुगतान करता है।
सवारियों की कमी के कारण कमाई तो दूर अधिकांश चक्कर में ठेकेदार को भुगतान करने वाले पैसे तक नहीं निकल पा रहे। आनलाइन चलाने पर उठाए सवाल: अनुबंधित वाल्वो के आनलाइन संचालन को लेकर रोडवेज कर्मचारी भी सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि आनलाइन बुकिंग में अगर एक यात्री ने भी टिकट बुक करा दिया गाड़ी भेजना अनिवार्य होता है। इसलिए आनलाइन सिस्टम को बंद किया जाना चाहिए। कर्मचारियों का कहना है कि डिपो से बस को सीधा बस स्टेशन भेजा जाए। यात्रियों की उपलब्धता के हिसाब सेे गाड़ी को रूट पर रवाना करना ज्यादा बेहतर होगा। अगर वाल्वो को यात्री नहीं मिलते तो दोबारा डिपो में भेजा जाए।