कोविड की दूसरी लहर में एक लाख 57 हजार प्रवासी लौटे, टेंशन में सरकार
देश में भले ही कोविड की दूसरी लहर के मामलों में कमी आ रही हो मगर राज्य में प्रवासियों के घर लौटने का सिलसिला कम नहीं हुआ है। उत्तराखंड में बीते बुधवार यानी नौ जून को ही 3250 प्रवासी गांव लौटे।
नैनीताल, जागरण संवाददाता : देश में भले ही कोविड की दूसरी लहर के मामलों में कमी आ रही हो मगर राज्य में प्रवासियों के घर लौटने का सिलसिला कम नहीं हुआ है। उत्तराखंड में बीते बुधवार यानी नौ जून को ही 3250 प्रवासी गांव लौटे। वहीं दूसरी लहर में अब तक एक लाख 57 हजार से अधिक प्रवासी गांव लौट आए हैं। प्रवासियों के आने से जहां गांव में रौनक बढ़ गई है वहीं बंजर खेत आबाद होने लगे हैं। मगर घर में खाली हाथ होने की वजह से लोगों की सरकार से अपेक्षाएं भी हैं।
सर्वाधिक प्रवासी अल्मोड़ा निवासी
सिटी पोर्टल की दस जून शाम को जारी रिपोर्ट के अनुसार नौ जून को ही लौटे 3250 प्रवासियों में सर्वाधिक 670 अल्मोड़ा के गांवों के थे। जबकि देहरादून के 569, नैनीताल के 473, बागेश्वर के 95, चंपावत के 59, पिथौरागढ़ के 76, उधमसिंह नगर के 241 प्रवासी शामिल हैं। यह तो हुआ सरकारी आंकड़ा, बड़ी तादाद में ऐसे प्रवासी भी लौटे हैं जो रिकार्ड में नहीं है।
सिटी पोर्टल एप पंजीकरण अनिवार्य
प्रवासियों के लिए सिटी पोर्टल एप में पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। 21 अप्रैल से प्रभावी एसओपी के अनुसार 21 अप्रैल से 30 अप्रैल तक 7939, पहली से 31 मई तक 119461, एक से सात जून तक 24030, आठ जून को 2728 नौ जून को 3250 प्रवासी आये। अब तक अल्मोड़ा में कुल 42882, बागेश्वर में 4149, चमोली में 3798H, चंपावत में 4086, देहरादून में 16093, हरिद्वार में 9199, नैनीताल में 16719, पौड़ी गढ़वाल में 31001, पिथौरागढ़ में 4979, रुद्रप्रयाग में 2699, टिहरी गढ़वाल में 10375, उधमसिंह नगर में 10814 तथा उत्तरकाशी में 1614 समेत कुल 157408 हैं।
मनरेगा व लघु, सूक्ष्म उद्योग पर फोकस
कोविड की पहली लहर के बाद लौटे प्रवासियों को रोजगार देने के लिए जिलास्तर पर हेल्प डेस्क बनाई गई थी। प्रवासियों के आने से मनरेगा में रोजगार दिवस बढ़ गए थे। इस बार जिला उद्योग केंद्र में ऑनलाइन साक्षात्कार शुरू हो गए हैं। जबकि मनरेगा कर्मचारियों की हड़ताल खत्म होने के बाद अब प्रवासियों को गांव के विकास के काम में जोड़ा जा सकता है। नैनीताल के जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल का कहना है कि प्रवासियों को घर के पास ही रोजगार या स्वरोजगार के लिए प्रयास हो रहे हैं।
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