एक करोड़ का फ्लेवर्ड मिल्क हाथ आया पर बच्चों के मुंह न लगा, शिक्षा विभाग के अफसराें की नाकामी
शिक्षा महकमे की लापरवाही के कारण एक करोड़ का फ्लेवर्ड मिल्क पाउडर बच्चों तक नहीं पहुंचा। इसकी वैलिडिटी अगस्त में समाप्त हो जाएगी।
हल्द्वानी, भानु जोशी : राज्य में शिक्षा महकमे की लापरवाही के कारण एक करोड़ का फ्लेवर्ड मिल्क पाउडर हाथ तो आया लेकिन नौनिहालों के मुंह ही नहीं लगा। अब हालत ये है कि केवल छह माह की वैलिडिटी अगस्त-सितंबर में समाप्त हो जाएगी और इसी के साथ ही एक करोड़ रुपये मिट्टी में मिल जाएंगे। महकमे भी इतना निश्चिंत बैठा है कि अब तक यही नहीं मालूम कि इतना महंगा दूध स्कूली बच्चों को कैसे और कब बंटेगा। सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मार्च में आंचल अमृत योजना का उद्घाटन किया। योजना के तहत मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना के तहत लाभान्वित होने वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को फ्लेवर्ड दूध पिलाया जाना था। हर जिले में दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड को दुग्ध चूर्ण (मिल्क पाउडर) बनाने के ऐवज में 50 फीसद यानी करीब डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। मार्च माह से लॉकडाउन लगा और स्कूल बंद हो गए। इधर, दुग्ध संघ ने 25,401 (28 टन) दुग्ध चूर्ण तैयार कर लिया था। दुग्ध संघों को ही जिलों में ये दूध विभाग को उपलब्ध कराना था। मगर, नैनीताल जिले को छोड़कर अन्य जिलों ने दुग्ध चूर्ण लेने से ही मना कर दिया। उनके हिस्से का दूध अब तक दुग्ध संघ के पास पड़ा हुआ है।
पांच जिलों को मिलना था चूर्ण
दुग्ध संघों ने 28 टन दुग्ध चूर्ण बनाया। उत्तरकाशी को 4,078 किलो, टिहरी को 6,844 किलो, पौड़ी को 5,898 किलो, रुद्रप्रयाग को 3,114 और नैनीताल को 8,083 किलो दुग्ध चूर्ण दिया जाना था। स्कूली बच्चों को बंटने वाले इस दुग्ध चूर्ण की कीमत 370 रुपये प्रति किलो है। यानि कि दुग्ध संघ द्वारा बनाया गया 28 टन दुग्ध चूर्ण की कीमत 93 लाख, 98 हजार 444 रुपये है। मार्च में बने इस चूर्ण की छह माह यानि अगस्त तक ही वेलिडिटी है।
स्कूल बंद हैं ऐसे में किस तरह सभी बच्चों तक फ्लेवर्ड मिल्क पाउडर पहुंचाया जाएगा इसे लेकर शिक्षा विभाग से वार्ता की जा रही है। मिल्क पाउडर अलग-अलग समय पर बना है ऐसे में वेलीडिटी पीरीयड अभी शेष है।-जेएस नगन्याल, निदेशक दुग्ध विकास विभाग
यह भी पढ़ें
हल्द्वानी में विकसित होंगे दो ईको पार्क, मुख्यमंत्री ने दिए तकनीकी परीक्षण के आदेश