अब टूटने लगा दिसंबर अंत में बर्फबारी का मिथक nainital news
दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बर्फबारी होने की परंपरा अब टूटने लगी है। पिछले दो दशक के अंतराल में दिसंबर मध्य में कई बार हुई बारिश व हिमपात ने मौसम परिवर्तन के संकेत दे दिए हैं।
रमेश चंद्रा, नैनीताल। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में बर्फबारी होने की परंपरा अब टूटने लगी है। पिछले दो दशक के अंतराल में दिसंबर मध्य में कई बार हुई बारिश व हिमपात ने मौसम परिवर्तन के संकेत दे दिए हैं। वहीं नैनीताल, रानीखेत, कौसानी समेत आसपास की यह बर्फबारी पर्यटन के लिहाज से लोगों को लुभा रही है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ विक्रम सिंह के अनुसार पूर्व में 25 दिसंबर के बाद ही मौसम में बदलाव आता था और तय माना जाता था कि 25 दिसंबर के आसपास हिमपात होगा।
अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। दिसंबर मध्य में कई बार बारिश व हिमपात हो चुका है। आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के पर्यारणीय वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र सिंह का कहना है कि इस बार देर तक रहे मानसून के चलते वातावरण में नमी अधिक होने के कारण तापमान में कमी आना स्वभाविक था। साथ ही नमी की मात्रा भी बढ़ी हुई थी। जिसके चलते इस बार ठंड जल्दी शुरू हो गई और बारिश व हिमपात की संभावनाएं भी प्रबल हो गई। मौसम में आ रहे बदलाव के पीछे ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ा कारण है। इसके अलावा स्थानीय मौसम भी कारण है।
पर्यटन कारोबार को बढ़ा रहा है हिमपात
दिसंबर के मध्य में हुई बर्फबारी व बारिश पर्यटन कारोबारियों के लिए भी सौगात से कम नही है। नैनीताल के साथ मुक्तेश्वर व रामगढ़ में होटल व्यवसायियों के लिए हिमपात कारोबार बढ़ाने में सहायक है। इसी केचलते नैनीताल में शीतकाल में अवकाश घोषित करने वाले होटल कारोबारियों ने जाड़े की छुट्टियां बंद कर दी हैं। बाहरी पर्यटकों का बर्फबारी का दीदार करने के लिए यहां पहुंचने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है।
अब शिफ्ट नहीं होते सरकारी दफ्तर व न्यायालय
मौसम में आई तब्दीली से नैनीताल में जाड़ों के दौरान शिफ्ट होने वाले सरकारी दफ्तरों का प्रचलन अब खत्म हो चला है। यह बदलाव करीब ढाई दशकों से आया है। इससे पूर्व जाड़े का मौसम शुरू होते ही न्यायालय समेत सरकारी कार्यालय हल्द्वानी व अल्मोड़ा आदि शहरों में शिफ्ट हो जाते थे। होटल व अधिकांश दुकानों में भी शीतकाल के दौरान अवकाश रहता था। जबकि अब बर्फबारी ही यहां के पर्यटन कारोबार में मजबूती दे रही है।
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