अब इस घास से सस्ते में रोशन होंगे घर, रास्ते भी होंगे जगमग
अब लैंटाना और बुकौल घास से घर सस्ते में रोशन होंगे। साथ ही रास्तों को भी जगमग किया जाएगा।
हल्द्वानी, [गणेश जोशी]: खेती को बर्बाद करने वाले लैंटाना (कुर्री) व बुकौल घास से अब घर रोशन होंगे। आवासीय विश्वविद्यालय अल्मोड़ा की पहल पर इन दोनों को पॉलीथिन के साथ मिलाकर सोलर पैनल तैयार किया जाएगा। साथ ही लैंटाना व बुकौल से ड्रोन का ईंधन भी तैयार होगा। विवि के छात्रों के अलावा निजी कंपनी आरआइ इंस्ट्रयूमेंट एंड इनोवेशन और आइआइटी कानपुर, मुंबई व जोधपुर की फैकल्टी ने मिलकर यह अभिनव प्रयोग किया है। इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन कर दिया गया है।
बुकौल (एनाफिलीज बुसा) व लैंटाना को वेस्ट मटेरियल के साथ मिलाकर रिएक्टर से गुजारा जाएगा। आरआइ इंस्ट्रयूमेंट एंड इनोवेशन कंपनी के लैब में नैनो मटेरियल तैयार होगा। इससे निकलने वाले विशेष कॉर्बन व ग्राफिन को ही पैनल बनाने के लिए उपयोग में लाया जाएगा।
तैयार होंगे सस्ते सोलर लाइट
इस कॉर्बन से सोलर पैनल तैयार होंगे। साथ ही कंपनी पैनल के साथ लाइट आदि जोड़कर पूरा सोलर उपकरण भी तैयार करेगी। फिलहाल सोलर लाइट की कीमत 200 से 300 रुपये तक रखी जाएगी।
ड्रोन के लिए बनेगा ईधन
लैंटाना व बुकौल घास के साथ वेस्ट मैटेरियल से ड्रोन के लिए ईंधन भी बनाया जाएगा। साथ ही कंपनी ड्रोन भी बनाएगी। इसका इस्तेमाल दुर्गम क्षेत्रों में दवाइयां पहुंचाने में होगा।
पर्यावरण संरक्षण में अहम
इस अहम प्रोजेक्ट के चालू होने से एक बार उपयोग में लाई गई पॉलीथिन दोबारा प्रयोग में लाई जा सकेगी। ऐसे में यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण के लिए भी अहम है।
अल्मोड़ा आवासीय विश्वविद्यालय प्रो. एचएस धामी ने बताया कि लैंटाना व बुकौल घास को वेस्ट मटेरियल के साथ मिलाकर सोलर पैनल लाइट बनाने का प्रयोग सफल रहा है। इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया जा चुका है।
आरआइ इंस्ट्रयूमेंट एंड इनोवेशन के सीईओ आरपी जोशी ने बताया कि इससे अंधेरे में रहने वाले पहाड़ के गांव सस्ते में रोशन होंगे। ड्रोन का प्रयोग भी लाभदायक सिद्ध होगा। हमारे साथ क्रूज डायनामिक प्राइवेट लिमिटेड के आकाश पांडे भी विशेष योगदान दे रहे हैं।
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