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नोटा ने बदल दी थी तस्वीर, लोहाघाट व भीमताल की सीटों पर जीत प्रतिशत से अधिक नोटा

निर्वाचन प्रणाली में शामिल नोटा का प्रावधान किसी प्रत्याशी की किस्मत बदलने की ताकत रखता है। पिछले विधानसभा चुनाव में नोटा को मिले मतों ने कई प्रत्याशियों की तस्वीर बदल दी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 19 Mar 2019 12:44 PM (IST)Updated: Tue, 19 Mar 2019 12:44 PM (IST)
नोटा ने बदल दी थी तस्वीर, लोहाघाट व भीमताल की सीटों पर जीत प्रतिशत से अधिक नोटा
नोटा ने बदल दी थी तस्वीर, लोहाघाट व भीमताल की सीटों पर जीत प्रतिशत से अधिक नोटा

हल्द्वानी, जेएनएन : निर्वाचन प्रणाली में शामिल नोटा का प्रावधान किसी प्रत्याशी की किस्मत बदलने की ताकत रखता है। पिछले विधानसभा चुनाव में नोटा को मिले मतों ने कई प्रत्याशियों की तस्वीर बदल दी। चुनाव में कई प्रत्याशियों के हार-जीत का फैसला नोटा को मिले मतों से कम था। ऐसे में नोटा के वोट प्रत्याशियों को मिलते तो चुनाव की तस्वीर दूसरी होती। लोकसभा चुनाव में भी नोटा अहम फेक्टर साबित हो सकता है।

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साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में लोहाघाट विधानसभा में भाजपा को 27318 मत मिले थे। कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी को 26666 वोट मिले। जबकि 1256 लोगों ने नोटा का चयन किया। ऐसा ही कुछ हाल भीमताल विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिला। यहां भाजपा को 15283 व कांग्रेस को 14586 वोट मिले थे। जबकि 961 मतदाताओं ने किसी प्रत्याशी को वोट देने की बजाय नोटा का चुनना बेहतर समझा।

वहीं, जीत के अंतर का आकलन किया जाए तो हार-जीत का अंतर नोटा पर पड़े वोट से कम है। जाहिर है अगर नोटा पर पड़े किसी के पक्ष में गए होते तो तस्वीर कुछ और होती। विधानसभा चुनाव में लगभग एक प्रतिशत वोट नोटा में चले गए। संख्या के हिसाब से यह 50 हजार से अधिक थे। इससे कई प्रत्याशियों की रातों की नींद उड़ा दी थी।

नोटा से पहले थी नेगेटिव वोटिंग

नोटा की तरह नेगेटिव वोटिंग का प्रावधान चुनावी प्रक्रिया में पहले से ही शामिल था। कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 के सेक्शन 49 ओ के तहत इसके लिए मतदाता को बूथ पर पीठासीन अधिकारी को सूचित करना होता था। इसके बाद फॉर्म 17ए में मतदाता क्रमांक पीठासीन अधिकारी की टिप्पणी व मतदाता के हस्ताक्षर होते थे। उसके बाद शीर्ष अदालत ने पहचान गोपनीय न रहने के कारण इसे असंवैधानिक करार दे दिया था।

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