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गांव में एक भी अनुसूचित जाति वर्ग का परविार नहीं फिर भी रिजर्व घोषित कर दी गई इस गांव सीट

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करीब हैं मगर दलमोठी (द्वाराहाट ब्लॉक) ग्राम पंचायत क्षेत्र में चुनावी गतिविधियां शून्य हैं। मतदाता पशोपेश में हैं कि अपना मुखिया चुनें भी तो किसे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 17 Sep 2019 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 09:26 AM (IST)
गांव में एक भी अनुसूचित जाति वर्ग का परविार नहीं फिर भी रिजर्व घोषित कर दी गई इस गांव सीट
गांव में एक भी अनुसूचित जाति वर्ग का परविार नहीं फिर भी रिजर्व घोषित कर दी गई इस गांव सीट

रानीखेत, जेएनएन : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव करीब हैं, मगर दलमोठी (द्वाराहाट ब्लॉक) ग्राम पंचायत क्षेत्र में चुनावी गतिविधियां शून्य हैं। मतदाता पशोपेश में हैं कि अपना मुखिया चुनें भी तो किसे। वजह बनी है जिला प्रशासन की आरक्षण व्यवस्था है। पूरे गांव में एक भी अनुसूचित जाति वर्ग का परिवार नहीं है, मगर इसे आरक्षित कर दिया गया है। आंखें मूंदे प्रशासन ने भी जिन परिवारों को आधार मान इसे आरक्षित श्रेणी में रखा, उनके खुद का ही वोट दलमोठी में नहीं है। हैरत की बात है कि ग्रामीणों ने हाकिम के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन कोई सुनवाई न हुई। उलझन व गुस्से के बीच मतदाताओं ने अब पंचायत चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर दिया है। करीब 550 की आबादी वाले दलमोठी गांव में एक भी परिवार आरक्षित वर्ग का नहीं है, मगर उसे आरक्षित श्रेणी में रख दिया गया। इससे मतदाता तय नहीं कर पा रहे कि आरक्षित वर्ग का प्रत्याशी ही नहीं है तो अपना मत देंगे किसे। 

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जिन्हें दर्शाया, उनका नाम तक नहीं 

दरअसल, दलमोठी गांव वर्ष 2003 में रियुनी (द्वाराहाट ब्लॉक) से अलग नई ग्राम पंचायत बनी। सामान्य वर्ग का गांव होने से यहां प्रधान भी सामान्य जाति के ही चुने गए। पूर्व प्रधान गोपाल सिंह बिष्टï के मुताबिक वर्ष 2011 की जनगणना में मल्ली रियूनी गांव के कुछ अनुसूचित जाति परिवारों को दलमोठी ग्राम पंचायत में शामिल तो कर लिया गया, मगर इनके नाम मतदाता सूची में दर्ज नहीं हैं। ये सभी आरक्षित वर्ग के परिवार पूर्व की भांति मल्ली रियूनी में ही अपना वोट देते आ रहे। 

वर्ष 2014 में आरक्षित से सामान्य की गई 

वर्ष 2014 में भी दलमोठी सीट आरक्षित की गई, मगर ग्रामीणों की आपत्त्ति पर सुनवाई के बाद इसे पुन: सामान्य कर दिया गया था। इस दफा प्रशासन आपत्ति पर गौर किए बगैर अपने हठ पर अड़ा रहा। इस मसले पर प्रशासनिक अधिकारियों से बात करने की कोशिश की गई पर फोन नहीं उठे। 

उच्च स्तरीय जांच पर जोर 

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन की आरक्षण व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए ग्रामीणों ने उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। साथ ही आपत्ति को गंभीरता से न लेने पर नाराजगी जता साफ कहा कि जब वे अपना प्रतिनिधि ही नहीं चुन सकते तो जिला व क्षेत्र पंचायत सदस्य के चुनाव में भी मत नहीं देंगे। विरोध करने वालों में निर्वतमान प्रधान खष्टी देवी, पूर्व प्रधान गोपाल सिंह, नवीन सिंह, ममता अधिकारी, पूरन सिंह, हेमा देवी, चंपा देवी, खड़क सिंह, संजय सिंह, लछम सिंह, शिव सिंह, जीवंती देवी, हीरा सिंह, भूपेंद्र सिंह, दीवान सिंह, जगदीश सिंह आदि शामिल हैं।

गांव में कुल 341 वोटर, सभी सामान्‍य वर्ग  

पूर्व प्रधान गोपाल सिंह अधिकारी ने बताया कि यह मखौल है। गांव में कुल 341 वोटर हैं। सभी सामान्य वर्ग से हैं। पता लगा है कि मल्ली रियुनी ग्राम पंचायत के कुछ आरक्षित परिवारों को कागजों में दलमोठी गांव में दिखाया गया है। जबकि मल्ली रियूनी के किसी भी परिवार का नाम दलमोठी ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में नहीं है। ये सभी लोग रियुनी में ही अपना वोट देते आ रहे। शीघ्र ठोस हल न निकाला गया तो त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेंगे। 


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