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उत्‍तर वाहिनी गंडक नदी के क‍िनारे वि‍राजि‍त है ड‍िप्‍टेश्‍वर धाम, पंचमुखी हनुमान समेत कई मूर्तियां हैं प्रतिष्‍ठ‍ित

उत्तर वाहिनी गंडक नदी के किनारे बसे डिप्टेश्वर धाम की अपनी चमत्कारिक मान्यताएं हैं। यहां मां दुर्गा लक्ष्मी नारायण के साथ ही भगवान शिव पंचमुखी हनुमान तथा बेताल देव के मंदिर स्थापित हैं। काल सर्प योग के निवारण के लिए यहां विशेष अनुष्ठान होता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 04:11 PM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 04:11 PM (IST)
उत्‍तर वाहिनी गंडक नदी के क‍िनारे वि‍राजि‍त है ड‍िप्‍टेश्‍वर धाम, पंचमुखी हनुमान समेत कई मूर्तियां हैं प्रतिष्‍ठ‍ित
उत्‍तर वाहिनी गंडक नदी के क‍िनारे वि‍राजि‍त है ड‍िप्‍टेश्‍वर धाम।

चम्पावत, जेएनएन: उत्तर वाहिनी गंडक नदी के किनारे बसे डिप्टेश्वर धाम की अपनी चमत्कारिक मान्यताएं हैं। यहां मां दुर्गा, लक्ष्मी नारायण के साथ ही भगवान शिव, पंचमुखी हनुमान तथा बेताल देव के मंदिर स्थापित हैं। काल सर्प योग के निवारण के लिए यहां विशेष अनुष्ठान होता है। यहां पर आराधना करने से यदि ज्योति पुंज के दर्शन हो जाएं तो भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। उत्तर भारत में यह स्थान अपने आप में सबसे अलग है। जहां अधिकांश नदियां पूरब से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण की ओर बहती हैं।

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इस स्थान पर बहने वाली गंडक नदी उत्तर वाहिनी है और इस नदी के संगम पर बसा डिप्टेश्वर धाम अपनी चमत्कारिक मान्यताओं के लिए लोगों की आस्था का केन्द्र है। कहा जाता है कि यहां यदि भक्त सच्चे मन से प्रार्थना करे तो उसकी मनोकामना पूर्ण होती है और उसे दिव्य ज्योति के रूप में संगम पर जलता हुआ दीप दिखाई देता है। इसी वजह से इस स्थान को दीप्तेश्वर (डिप्टेश्वर ) भी कहा जाता है। इस स्थान पर शिव के साथ ही बेताल बाबा, पंचमुखी हनुमान, लक्ष्मी नारायण और मां दुर्गा के मंदिर स्थापित हैं।

काल सर्प दोष निवारण के लि‍ए वि‍शेष अनुष्‍ठान

यह स्थान ध्यान और तपस्या के लिए भी बेहद उपयुक्त है। कल-कल करती गंडक नदी के किनारे बसे इस धाम में वैसे तो वर्ष भर पूजा-अर्चना होती है। साथ ही काल सर्प योग के निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। परंतु नवरात्र के मौके पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। वर्तमान में मंदिर के स्वरूप को भी भव्य रूप दिया गया है। महंत इंद्रायण दास के अलावा अन्य लोगों ने इसमें सहयोग दिया। यह स्थान पूल्ड आवास कलौनी तथा मांदली क्षेत्र के निकट होने के कारण आज मुख्यालय का प्रमुख शक्ति स्थल बन गया है। जहां हर रोज भक्त विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस धाम की एतिहासिक महत्ता को देखते हुए यहां हर वर्ष देवी भागवत, शिव पुराणों के साथ ही अन्य आयोजन जारी रहते हैं।


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