गौला में मजदूर की मदद के लिए नहीं पहुंचा कोई कर्मचारी, साथियों ने कंधे पर ढोई लाश
रविवार की दोपहर गौला में एक मजदूर मौत हो गई लेकिन उससे पहले संवेदना मरी थी। इस नदी के संचालन का जिम्मा वन निगम पर है। दोनों विभागों के कर्मचारी में से मददद कोई नहीं पहुंचा।
हल्द्वानी, गोविंद बिष्ट : रविवार की दोपहर गौला में एक मजदूर मौत हो गई। लेकिन उससे पहले संवेदना मरी थी। मौके पर दम तोड़ चुके साथी के बचने की आस में चार मजदूर लकड़ी की सीढिय़ों में उसे लादकर पैदल अस्पताल की ओर दौड़ रहे थे। वन विभाग की इस नदी के संचालन का जिम्मा वन निगम पर है। दोनों विभागों के कर्मचारी गेट से लेकर खदान तक घूमते रहते हैं। फिर भी मदद को कोई नहीं पहुंचा। क्योंकि घटना एक मजदूर से जुड़ी थी। दरअसल, मजदूरों के कंधों पर एक साथी नहीं बल्कि संवेदनाओं की लाश लदी थी। पर अफसोस कि जिम्मेदारों को कोई फर्क नहीं पड़ा।
रहमतउल्ला उर्फ बूटा मृतक श्रमिक अनिल के गांव का रहने वाला है। उसने बताया कि पांच साल पहले अनिल गौला में काम कर चुका था। इस बार परिवार की माली हालत ज्यादा खराब होने पर वह चार हफ्ते पहले ही हल्द्वानी आया था। साथी श्रमिकों के साथ वह इंदिरानगर स्थित एक छोटे से कमरे में किराये पर रहता था। गौला में कम माल होने की वजह से वह जल्द घर को निकलने वाला था। लेकिन उससे पहले एक हादसे ने उसकी जान ले ली। खदान के श्रमिकोंं ने बताया कि हादसे में उसके सिर व अन्य जगहों पर काफी चोट आई थी। मौके पर ही सांसे करीब सी टूट गई थी। लेकिन फिर भी अस्पताल ले जाने को हिम्मत बांधी। पूरी नदी में सूचना फैलने के बावजूद जब कोई मदद को नहीं पहुंचा तो लकड़ी की बनी सीढ़ी (जिससे टीले पर चढ़ते हैं) पर श्रमिक को लेटाया गया। खदान से निकासी गेट तक की दूरी आधा करीब आधा किमी है। संवेदनहीनता के साथ विडंबना देखिए कोई पूछने तक नहीं पहुंचा। सड़क पर लाने के बाद श्रमिकों को लगा कि अब तो कोई मदद को पहुंचेगा। पर वहां भी ऐसा नहीं हुआ। जिसके बाद टेंपो में रखकर अनिल को एसटीएच लाया गया। जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
गौला में रोज घायल हो रहे मजदूर
गौला की स्थिति लगातार खराब हो रही है। आधे से ज्यादा गेटों पर माल कम होने से मजदूरों को जान जोखिम में डालकर गहरा खुदान करना पड़ रहा है। जिस इंदिरानगर गेट पर यह हादसा हुआ उसकी हालत ओर बुरी है। रोज कोई न कोई मजदूर घायल होता है।
कब दोगे सेफ्टी किट
गौला में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावा किए जाते हैं। पर हकीकत यह है कि उन्हें अभी तक सेफ्टी किट तक नहीं मिली। मजदूरों के हक पर मुख्यालय में बैठे अफसरों की काहिली भारी पड़ रही है। सुरक्षा उपकरण के तौर पर हेलमेट, बूट, दस्ताने व मॉस्क मिलता है। सामान मिला होता तो शायद मजदूर बच जाता।
इसका तो रजिस्ट्रेशन नहीं
मौत के बाद बात आती है मुआवजे की। जिससे मजदूर का गरीब परिवार सदमे से उबरने की कोशिश करता। लेकिन वन निगम के अफसरों का कहना है कि उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। इससे मुआवजे में दिक्कत आ सकती है।
समिति ने जताया शोक
हादसे में मारे गए श्रमिक को श्रद्धांजलि देते हुए गौला संघर्ष समिति ने शोक जताया है। समिति सचिव पम्मी सैफी ने बताया कि माल कम होने से काम करना खतरे से खाली नहीं। निगम की लापरवाही से अनिल की मौत हुई है। परिवार को तुरंत मुआवजा नहीं मिलने पर आंदोलन किया जाएगा।
मृतक मजदूर को नहीं था रजिस्ट्रेशन
एमपीएस रावत, आरएम वन निगम ने कहा कि मजदूर की मौत का बाद में पता चला। उसका रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। फिर भी प्रयास किए जाएंगे कि उसे कुछ मुआवजा मिल जाए।
रिपोर्ट बनाने खदान में पहुंचे
गौला के श्रमिकों ने बताया कि शुरू में मदद को कोई नहीं पहुंचा। लेकिन बाद में हादसे की रिपोर्ट तैयार करने के लिए वन निगम के कुछ कर्मचारी खदान में पहुंच गए।
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