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उत्तराखंड परिवहन निगम में नई भर्ती न होना बड़ी चूक, संविदा कर्मी की हड़ताल ने छुड़वाये पसीने

नियमित स्टाफ की संख्या संविदा और विशेष श्रेणी के मुकाबले आधी भी नहीं होने के कारण निगम को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं हड़ताली कर्मी डिपो और वर्कशाप में गुरुवार से ही रात में भी धरने पर बैठ रहे हैं।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 08 Jan 2022 12:44 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jan 2022 12:44 PM (IST)
उत्तराखंड परिवहन निगम में नई भर्ती न होना बड़ी चूक, संविदा कर्मी की हड़ताल ने छुड़वाये पसीने
केवल मृतक आश्रित के तहत पद भरे गए। उसमें से भी कई मामले लटके हुए हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: उत्तराखंड परिवहन निगम में सालों से स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। केवल मृतक आश्रित के तहत पद भरे गए। उसमें से भी कई मामले लटके हुए हैं। ऐसे में रोडवेज के संविदा और विशेष श्रेणी के कर्मचारियों की हड़ताल ने अफसरों के पसीने छुड़वा दिए हैं। साथ ही यात्रियों के सामने भी संकट खड़ा कर दिया है। कोरोना की पाबंदी, आफ सीजन आस पास कोई त्योहार न होने से सड़क पर यात्री नहीं है। वर्ना परिवन निगम को संविदा कर्मियों की हड़ताल का बहुत खामियाजा भुगतना पड़ता। वर्तमान में  यात्रियों की संख्या कम होने से काेई हो हल्ला नहीं हो रहा है। निगम को इन्हें नियमित की मांग मानकर या नई भर्ती निकालकर कोई रास्ता अख्तियार करना चाहिए। जिससे यात्रियों की समस्या स्थायी हल निकले। मामला लटकने से आखिरकार निगम की आय व यात्रियों को परेशानी हो रही है।

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नियमित स्टाफ की संख्या संविदा और विशेष श्रेणी के मुकाबले आधी भी नहीं होने के कारण निगम को ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, हड़ताली कर्मी डिपो और वर्कशाप में गुरुवार से ही रात में भी धरने पर बैठ रहे हैं। चुनावी साल होने की वजह से हर महकमे में मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन का दौर चल रहा है। उत्तराखंड रोडवेज संविदा और विशेष श्रेणी संगठन के बैनर तले गुरुवार से अस्थायी कर्मचारी लामबंद हो चुके हैं। इनकी हड़ताल का असर संख्याबल ही है। हल्द्वानी डिपो में संविदा और विशेष श्रेणी के तहत काम करने वाले चालक-परिचालकों की संख्या करीब 170 हैं। जबकि नियमित चालक-परिचालक 70 के आसपास हैं। परिचालक से अतिरिक्त काम करवाया जा सकता है। लेकिन लंबे रूट से लौटने वाले चालकों से रेस्ट डे पर काम नहीं करवाया जा सकता है।

ऐेसे में स्टेशन इंचार्ज और एआरएम खासा परेशान है कि बसों का संचालन कैसे किया जाए। वहीं, उत्तराखंड रोडवेज संविदा और विशेष श्रेणी संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि नियमितिकरण और समान कार्य-समान वेतन की मांग पूरी होने तक वह काम पर नहीं लौटेंगे।


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