एनएच-74 मुआवजा घोटाला : दो अधिकारी समेत 52 पर तीसरी फाइनल चार्जशीट जल्द
एनएच-74 मुआवजा घोटाले में गिरफ्तार दो पीसीएस अधिकारियों के बाद तीसरे पर कसेगा शिकंजा।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : एनएच-74 मुआवजा घोटाले में गिरफ्तार पीसीएस अधिकारी तीरथ पाल ¨सह और बेरीनाग के प्रभारी तहसीलदार समेत 52 किसानों के खिलाफ तीसरी और फाइनल चार्जशीट दाखिल की जाएगी। इसमें बैक डेट में करोड़ों का मुआवजा लेने वाले 35 किसानों के साथ ही मुआवजा वापस करने वाले किसान भी शामिल कर लिए गए हैं।
एनएच-74 मुआवजा घोटाले में केस दर्ज होने के बाद एसआइटी ने जांच शुरू कर दी थी। जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर एसआइटी 211 करोड़ रुपये घोटाले की पुष्टि कर पांच पीसीएस अधिकारी समेत 22 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। साथ ही चार पीसीएस समेत 20 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। हाल ही में गिरफ्तार पीसीएस अधिकारी तीरथ पाल ¨सह और प्रभारी तहसीलदार रघुवीर ¨सह के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी अंतिम चरणों में है। कुछ दिनों बाद दोनों अधिकारियों के साथ ही जिले के जसपुर, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर, सितारगंज के बैक डेट पर 143 कर करोड़ों रुपये का मुआवजा लेने वाले 37 किसानों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होगी। इसमें करोड़ों का मुआवजा लौटाने वाले किसान भी शामिल कर दिए गए हैं। 1700 पन्ने की सूचना नहीं आई काम
रुद्रपुर : करीब 1700 पन्ने की सूचना भी आइएएस डॉ. पंकज पांडेय के काम न आ सकी। उम्मीद थी कि यह कागजात पांडेय की राहत का जरिया बनेंगे, लेकिन उन पर गाज गिर गई। बता दें कि शासन को भेजी गई एसआइटी की रिपोर्ट पर घिरे डॉ. पंकज पांडेय ने सूचना अधिकार में जीवन भय दिखाते हुए छह ¨बदुओं पर महत्वपूर्ण जानकारियां मांगी थीं। इसमें एक अप्रैल 2014 से मार्च 2017 तक हुई बैठकों का कार्यवृत, मिशलबंद रजिस्टर की प्रतियां, शासन व एनएचएआइ की ओर से किया पत्राचार, केस डायरी व कोर्ट केस से जुड़ी पत्रावलियां शामिल थीं। करीब 1700 पन्नों की यह सूचना तत्कालीन डीएम डॉ. पांडेय को उपलब्ध भी करा दी गई थी। यह माना जा रहा था कि यह सूचना पांडेय के लिए मददगार बनेगी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आखिर डॉ. पांडेय पर गाज गिर ही गई। उन्हें निलंबित कर दिया गया। अभियोजन की स्वीकृति ले सकती है एसआइटी
मुआवजा घोटाले में पांच पीसीएस के जेल जाने के बाद अब आइएएस के गले फंदा फंसा है। डॉ. पंकज पांडेय और चंद्रेश यादव निलंबित किए जा चुके हैं। अब इन दोनों के खिलाफ अभियोजन की एसआइटी शासन से स्वीकृति ले सकती है, हालांकि एसआइटी इस मामले में कुछ भी कहने से बच रही है। आइएएस पर कोई बोलने को तैयार ही नहीं है। चर्चा यहां तक है कि जो प्रक्रिया पीसीएस पर अपनाई गई, वही आइएएस पर भी अपनाई जा सकती है।