नैनीताल में कचरा प्रबंधन नहीं होने पर एनजीटी ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नैनीताल में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अनुसार कूड़ा निस्तारण नहीं होने तथा गंदगी पर मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है।
नैनीताल, जेएनएन : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने नैनीताल में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के अनुसार कूड़ा निस्तारण नहीं होने तथा गंदगी पर मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है। एनजीटी ने माल रोड समेत अन्य प्रमुख स्थानों पर कचरा जमा होने तथा झील में गिरने वाले नालों के मुहानों में पॉलीथिन के फोटोग्राफ को आधार बनाते हुए जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
एनजीटी चेयरमैन जस्टिस आदर्श गोयल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में गैर सरकारी संगठन फें्रड्स के महासचिव शरद तिवारी व नैनीताल के चर्चित पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें कहा गया कि 2016 में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट व ई-वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। एनजीटी ने शहरी विकास सचिव को इसके क्रियान्वयन की जिम्मेदारी दी थी, मगर नैनीताल समेत उत्तराखंड में इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। नैनीताल समेत मुक्तेश्वर में जगह-जगह कूड़ा जमा है। पॉलीथिन का कचरा भी माल रोड पर दिखाई दे रहा है। पीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। एनजीटी ने नैनीताल से संबंधित मामले में एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए जिला प्रशासन से भी जवाब मांगा है।
प्रो. रावत की जनहित याचिका निस्तारित
हाई कोर्ट ने नैनी झील के कैचमेंट सूखाताल में अतिक्रमण हटाने को लेकर प्रो. अजय रावत की जनहित याचिका निस्तारित कर दी है। 2012 में दायर याचिका की सुनवाई के बाद शहर में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हटाया गया। नालों के ऊपर अतिक्रमण तोड़ा गया। बाजार की नालियों को भी अतिक्रमण मुक्त किया गया। हाई कोर्ट शहर में पार्किंग स्थल तलाशने, बारापत्थर में घोड़ों की संख्या सीमित करने, भीड़ बढऩे पर पर्यटक वाहनों को शहर से बाहर रोकने आदि अहम दिशा-निर्देश पूर्व में ही दे चुका है। मंगलवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ में याचिका पर सुनवाई हुई, जिसके बाद कोर्ट ने पूर्व में जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने व अन्य दिशा-निर्देश जारी करते हुए जनहित याचिका को निस्तारित कर दी।
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