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उच्‍च शिक्षा के निदेशक की प्राचार्यों को नसीहत, ऑफिस में कुर्सियां तोड़ने की बजाए क्‍लासों का निरीक्षण करें

डॉ. नारायण प्रकाश माहेश्वरी ने शनिवार को उच्च शिक्षा निदेशक पद पर कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने राज्य के सभी कॉलेजों के प्राचार्यों को नसीहत दी है कि वे दिनभर दफ्तर में न बैठें।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 10:17 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 10:17 AM (IST)
उच्‍च शिक्षा के निदेशक की प्राचार्यों को नसीहत, ऑफिस में कुर्सियां तोड़ने की बजाए क्‍लासों का निरीक्षण करें
उच्‍च शिक्षा के निदेशक की प्राचार्यों को नसीहत, ऑफिस में कुर्सियां तोड़ने की बजाए क्‍लासों का निरीक्षण करें

हल्द्वानी, जेएनएन : डॉ. नारायण प्रकाश माहेश्वरी ने शनिवार को उच्च शिक्षा निदेशक पद पर कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने राज्य के सभी डिग्री कॉलेजों के प्राचार्यों को नसीहत दी है कि वे दिनभर दफ्तर में न बैठे रहें। रोजाना दो बार कक्षाओं का भ्रमण कर शैक्षणिक माहौल बनाने में योगदान दें। नए निदेशक  से मिलने बड़ी संख्या में डिग्री कॉलेजों के प्राचार्य व प्राध्यापक हल्द्वानी स्थित उच्च शिक्षा निदेशालय पहुंचे थे। डॉ. माहेश्वरी का खैरमकदम किया गया। निदेशक ने निदेशालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की बैठक लेकर विभागीय कार्यों की समीक्षा की। निर्देश दिए कि डिग्री कॉलेजों के निर्माणाधीन भवन जल्द तैयार कराए जाएं। इसके अलावा उन्होंने प्रत्येक पटल पर कर्मचारियों से भी मुलाकात की।

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मानक से अधिक दाखिले नहीं होंगे

निदेशक ने कहा कि अधिकांश डिग्री कॉलेजों में प्रतिवर्ष निर्धारित संख्या से अधिक विद्यार्थियों को दाखिला दिया जाता है। जिससे कक्षाएं संचालित करने में परेशानी आती है। कहा कि अगले सत्र से कक्षाओं में निर्धारित सीटों से अधिक पर दाखिले नहीं दिए जाएंगे।

कामचलाऊ कर्मी उतरेंगे मैदान में

निदेशक ने कहा कि वर्तमान में आउटसोर्स पर रखे गए अधिकांश कर्मचारी पहाड़ के डिग्री कॉलेजों में तैनात हैं। मैदान के डिग्री कॉलेजों में भी इनकी जरूरत है। भविष्य में ऐसी नीति लाने पर काम किया जा रहा है जिसमें 35000 से अधिक मानदेय वाले संविदा कर्मी पहाड़ तो 25 हजार वाले मैदान के डिग्री कॉलेजों में सेवा देंगे। तृतीय-चतुर्थ श्रेणी कर्मियों के पद भरे जाने के लिए अधियाचन भेजा गया है।

छात्र निधि खर्च की सीमा बढ़ेगी

निदेशक ने कहा कि छात्र निधि की एक लाख से अधिक की रकम को खर्च करने के लिए निदेशालय की अनुमति जरूरी है, लेकिन अब छोटे डिग्री कॉलेजों में दो तो बड़े कॉलेजों में चार से पांच लाख रुपये की रकम निर्धारित की गई है। इससे अधिक रकम के लिए अनुमति जरूरी होगी।

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