कोरोना से दो माह बाद बाद स्वस्थ हुए न्यूरोसर्जन डाॅ. महेश शर्मा
सुना होगा कि डाक्टर की गलती से मरीज को नुकसान हो गया लेकिन यहां बिल्कुल उल्टा हो गया। कोरोना से गंभीर रूप से ग्रस्त एक मरीज की गलती से डाक्टर भी गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित हो गए। दो महीने तक लंबे इलाज के बाद अब स्वस्थ हुए हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : कई बार सुना होगा कि डाक्टर की गलती से मरीज को नुकसान हो गया, लेकिन यहां बिल्कुल उल्टा हो गया। कोरोना से गंभीर रूप से ग्रस्त एक मरीज की गलती से डाक्टर भी गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित हो गए। दो महीने तक लंबे इलाज के बाद अब स्वस्थ हुए हैं। ऐसे में डाक्टर की सलाह है कि मरीजों को अपनी बीमारी के बारे में सही व स्पष्ट जानकारी डाक्टर को दे देनी चाहिए। ऐसा करना मरीज के साथ ही डाक्टर के भी हित में हैं।
विवेकानंद अस्पताल के वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डा. महेश शर्मा के पास अस्पताल से फोन आया कि अस्पताल में गंभीर मरीज पहुंचा। लगता है हार्ट अटैक पड़ा है। डाक्टर शर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचे और मरीज को सीपीआर देने लगे। उन्होंने मुंह से भी सांस देने के काेशिश की। तब तक डाक्टर व उनकी टीम को किसी ने मरीज के कोरोना ग्रस्त होने की जानकारी नहीं दी। मरीज की की हालत बिगड़ने लगी। उसे डा. सुशीला तिवारी अस्पताल रेफर कर दिया गया था। बाद में मरीज की मौत हो गई। इस घटना के कुछ ही दिन बाद डा. शर्मा व उनकी टीम के पांच कर्मचारी भी कोरोना संक्रमित हो गए।
सभी में गंभीर लक्षण थे। डा. शर्मा को दिल्ली निजी अस्पताल में रेफर कर दिया। इसके बाद उन्हें दो यूनिट प्लाज्मा चढ़ाया गया। डेढ़ महीने तक वह बोल नहीं सके। डा. शर्मा ने बताया कि अब वह ठीक हैं। अस्पताल भी ज्वाइन कर लिया है। उनका कहना है कि हम मरीज को सीपीआर देते समय कोरोना संक्रमण की जानकारी होती तो एहितयात बरत लेते। ऐसे में उनकी सलाह है कि मरीज को कभी भी अपनी बीमारी के बारे में डाक्टर से नहीं छिपाना चाहिए। ऐसा करना मरीज के साथ ही डाक्टर के लिए भी खतरनाक हो सकता है।