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India-Nepal Tension : नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण कर कड़वाहट बढ़ा रहा नेपाल, भुगतना वहीं के नागरिकों को पड़ेगा

टनकपुर शारदा बैराज के निकट इंडो-नेपाल बॉर्डर के नो मैंस लैंड पर नेपाल द्वारा अतिक्रमण किए जाने से दोनों देशों के बीच बने रोटी-बेटी के संबंधों में कड़वाहट पैदा होती जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 06:10 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 08:50 AM (IST)
India-Nepal Tension : नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण कर कड़वाहट बढ़ा रहा नेपाल, भुगतना वहीं के नागरिकों को पड़ेगा
India-Nepal Tension : नो मैंस लैंड पर अतिक्रमण कर कड़वाहट बढ़ा रहा नेपाल, भुगतना वहीं के नागरिकों को पड़ेगा

चम्पावत, जेएनएन : टनकपुर शारदा बैराज के निकट इंडो-नेपाल बॉर्डर के नो मैंस लैंड पर नेपाल द्वारा अतिक्रमण किए जाने से दोनों देशों के बीच बने रोटी-बेटी के संबंधों में कड़वाहट पैदा होती जा रही है। इसका खामियाजा सबसे ज्यादा नेपाली नागरिकों को ही भुगतना पड़ेगा। कारण कि बॉर्डर से लगे अधिकतर नेपाल के गांव भारत पर निर्भर हैं। यही नहीं नेपाली नागरिक भारत में ही काम कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। सबसे बड़ी मार नेपाल के महेंद्रनगर में खुले कैसिनों पर पड़ेगा। जहां प्रतिमाह करोड़ों का कारोबार होता है। कड़वाहट पैदा होने से भारतीयों पर निर्भर कैसिनों पूरी तरह से ठप हो जाएगा।

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टनकपुर शारदा बैराज के निकट इंडो-नेपाल बॉर्डर के नो मैंस लैंड पर नेपाली नागरिकों व वन समिति के लोगों ने पौधारोपण की आड़ में अतिक्रमण कर तारबाड़ लगा दिया। तारबाड़ जो भी रोकने गया तो नेपाली नागरिक इसे अपना क्षेत्र बताकर आक्रोशित हो उठते। इसको लेकर कई बार नोकझोंक भी हो चुकी। नेपाली नागरिकों द्वारा किए अतिक्रमण को हटाने के लिए नेपाली अधिकारियों की मंशा भी ठीक नहीं लग रही है। अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किए जाने के पांच दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। इसको लेकर दोनों देशों के बीच सालों से आ रहे रोटी-बेटी के संबंधों में दिन प्रतिदिन कड़वाहट पैदा होती जा रही है।

अगर यह कड़वाहट यूं ही बनी रही तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान नेपाली नागरिकों को भुगतना पड़ेगा। कारण कि बॉर्डर सीमा से लगे नेपाल के कई गांवों के लोग भारत में आकर व्यवसाय व नौकरी करते हैं। जिससे उनका घर परिवार चलता है। यही नहीं नेपाल के महेंद्रनगर प्रशासन की सबसे बड़ी आय का स्त्रोत कैसिनों पर भी फर्क देखने को पड़ेगा। क्योंकि महेंद्रनगर व सूखाताल में खुले दोनों कैसिनों में भारतीयों के ही आने की अनुमति है। कैसिनों में कई भारतीय अपना सबकुछ लुटा कर बर्बाद हो चुके हैं या यूं कहें कि वह अब दो वक्त की रोटी को भी मोहताज हो रहे हैं। नेपाली नागरिकों का कैसिनों में पूर्णत: प्रतिबंध है। दोनों कैसिनों से संचालक प्रतिमाह करोड़ों का कारोबार करते हैं। हालांकि अभी लॉकडाउन के चलते बॉर्डर पर आवाजाही पूरी तरह से बंद है। जिस कारण कैसिनों भी बंद पड़ा हुआ है। अगर इस बीच जल्द नो मैंस लैंड का विवाद नहीं सुलझता है तो नेपाली कैसिनों को तगड़ा झटका लगने का अंदेशा है।

कैसिनो बंद होने से बढ़ा सट्टे का कारोबार

लॉकडाउन में बॉर्डर पर आवाजाही बंद होने से क्षेत्र में सट्टे का कारोबार बढ़ गया है। बनबसा से लेकर लोहाघाट तक सट्टे का कारोबार तेजी से फल फूल रहा है। कोई मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन सट्टा खेल रहा है तो कोई फड़ लगाकर। बीते दिनों बनबसा व चम्पावत पुलिस ने 12 जुआरियों को पकड़कर उनसे हजारों रुपये बरामद किए थे।

नेपाली नागरिकों ने शुरू किया पौधारोपण

नेपाली नागरिकों ने नो मैंस लैंड में अतिक्रमण कर तारबाड़ लगाने का कार्य पूरा करने के बाद पौधारोपण करने का शुरू कर दिया है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि उन्होंने अभी नो मैंस लैंड में पौधारोपण नहीं किया है वह अभी अपने ही क्षेत्र में पौधारोपण कर रहे हैं लेकिन वह तेजी से पौधारोपण करते हुए नो मैंस लैंड क्षेत्र में आ रहे हैं।

नेपाली अधिकारियों की नहीं दिख रही अतिक्रमण हटाने की मंशा

नो मैंस लैंड में हुए अतिक्रमण को हटाने की मंशा कंचनपुर प्रशासन की नहीं दिख रही है। कारण कि कंचनपुर सीडीओ व एपीएफ एसपी ने बीती रविवार 26 जुलाई को क्षेत्र का निरीक्षण कर चम्पावत जिला प्रशासन से जल्द बैठक कर अतिक्रमण हटाए जाने पर विचार करने को कहा था लेकिन इस बात को भी धीरे-धीरे कर चार बीत दिन गए लेकिन कंचनपुर प्रशासन की ओर से कोई जवाब नहीं मिला है। जबकि उससे चार-पांच दिन पूर्व एपीएफ के एसपी ने निरीक्षण कर दो दिन में अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया था लेकिन वह भी हवा हवाई साबित हुआ। इस दौरान एपीएफ एसपी का नेपाल प्रशासन ने तबादला भी कर दिया।

डीएम बोले-नेपाल प्रशासन से फिलहाल नहीं मिला जवाब

डीएम एसएन पांडे ने बताया कि नो मैंस लैंड पर हुए अतिक्रमण हटाने को लेकर कंचनपुर प्रशासन से लगातार वार्ता की जा रही है, लेकिन अभी तक कंचनपुर प्रशासन ने कोई जवाब नहीं दिया है। इससे बॉर्डर पर लगातार तनाव बढ़ रहा है। नेपाली नागरिक अब पौधारोपण कर रहे हैं। बढ़ते तनाव से सीमा से लगे नेपाली गांव के नागरिकों व खासतौर पर कैसिनों को काफी आर्थिकी नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।


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