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India-Nepal Border Dispute: भारत के कालापानी के आसपास नई बस्ती बसाएगा नेपाल

भारत से सीमा विवाद को तूल देने में जुटा नेपाल अब कालापानी से सटे क्षेत्रों में नई बस्तियों को बसाएगा। इसके लिए केंद्रीय और प्रादेशिक स्तर पर योजना तैयार की जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 19 Sep 2020 08:25 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 11:17 PM (IST)
India-Nepal Border Dispute: भारत के कालापानी के आसपास नई बस्ती बसाएगा नेपाल
India-Nepal Border Dispute: भारत के कालापानी के आसपास नई बस्ती बसाएगा नेपाल

हल्द्वानी, अभिषेक राज: India-Nepal Border Dispute: दुष्प्रचार के आधार पर भारत से सीमा विवाद को तूल देने में जुटा नेपाल अब कालापानी से सटे क्षेत्रों में नई बस्तियों को बसाएगा। इसके लिए केंद्रीय और प्रादेशिक स्तर पर योजना तैयार की जा रही है। विवादित क्षेत्र के करीब लोगों को बसाने से पहले मूलभूत सुविधाओं का विकास किया जाएगा। इसके तहत पेयजल, दूरसंचार, बिजली, स्वास्थ्य सुविधा व पक्की सड़क बनाई जाएगी। आपात सेवा के लिए नेपाल सीमावर्ती क्षेत्र में हेलीपैड का निर्माण भी कराएगा।

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विशेष कमेटी को जिम्मेदारी

योजना को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने विशेष कमेटी का गठन किया है, जो 16 अक्टूबर के बाद संबंधित क्षेत्रों का दौरा कर रिपोर्ट तैयार करेगी। उसी आधार पर विकास का खाका खींचा जाएगा।

हर कोशिश नाकाम

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार नेपाल यहां भारतीय गांव नाबी, गूंजी और लिंपियाधुरा के ग्रामीणों को भी बसने के लिए प्रलोभन दे सकता है। इसके लिए उच्च हिमालयी गांवों में बकायदा एजेंट भी नियुक्त किए गए हैं, जो स्थानीय ग्रामीणों को नेपाल में बसने की खूबी और सुविधाओं के बारे में बताकर उन्हें नेपाली क्षेत्र में जाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। नेपाल अभी तक इस योजना में सफल नहीं हो सका है। इसके पहले वह भारतीय ग्रामीणों को नेपाली नागरिकता का भी प्रलोभन दे चुका है, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। अब वह नए सिरे से संबंधित क्षेत्र में प्रभाव स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है। 

मधेश के लिए भी बनाई योजना

सुदूर पश्चिम के साथ ही नेपाल ने पूर्वी उप्र से सटे तीन जिलों रूपन्देही, कपिलवस्तु और नवलपरासी के लिए भी ऐसी ही योजना तैयार की है। अलबत्ता वहां भारतीयों को आकर्षित करने के लिए नहीं बल्कि अपने ही युवाओं को प्रेरित करने की योजना है। भारत-नेपाल संबंधों के जानकार मेजर बीएस रौतेला बताते हैं कि यह अनायास नहीं है। तमाम कोशिशों के बाद भी चीन मधेश में अपनी जड़ें नहीं जमा सका है। इसीलिए वह नए सिरे से युवाओं को अब विकास के माध्यम से खुद की नीतियों से जोडऩे की योजना पर काम कर रहा है। इसीलिए वह लगातार सीमावर्ती क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय है। यहां के पर्यटन, उद्योग, कृषि, विद्युत परियोजनाओं में भी निवेश कर रहा है।


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