हिमालय के जल, जंगल, जमीन को समझने की जरूरत
गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट का साफ तौर पर कहना है कि बाजार के बढ़ते दबाव की वजह से हिमालय पर खतरा बढ़ गया है।
नैनीताल, [जेएनएन]: गांधी शांति पुरस्कार प्राप्त प्रसिद्ध पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट का साफ तौर पर कहना है कि बाजार के बढ़ते दबाव की वजह से हिमालय पर खतरा बढ़ गया है। उन्होंने केदारनाथ समेत उच्च हिमालयी इलाकों में हेली सेवा को भी पर्यावरण के लिए बड़ी चिंता बताया।
नैनीताल प्रशासनिक अकादमी में आपदा में मीडिया की भूमिका विषयक कार्यशाला में उन्होंने कहा कि हिमालय के जल, जंगल, जमीन को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे अतिक्रमण तथा अन्य प्राकर्तिक बदलाव की वजह से आपदा की संवेदनशीलता बढ़ गई है।
राज्य के सीमावर्ती जिले आपदा की दृष्टि से संवेदनशील हो गए हैं। उन्होंने आपदा से कारगर तरीके से निपटने के लिए भारत, नेपाल, भूटान, तिब्बत का प्राक्रतिक मोर्चा बनाने का पर जोर देते हुए कहा कि वह प्रधानमंत्री को भी यह सुझाव पत्र के माध्यम से भेज चुके हैं।
वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी ने केदारनाथ आपदा समेत अन्य आपदा की घटनाओं की रिपोर्टिंग के दौरान गौर करने लायक तथ्यों को रेखांकित किया। संस्थान के निदेशक एएस नयाल ने स्वागत किया। जबकि कार्यक्रम निदेशक डॉ ओमप्रकाश, डॉ मंजू पांडे, बीसी तिवारी, शैलेश कुमार, एनके जोशी समेत जिलों के आपदा प्रबंधन अधिकारी, मीडियाकर्मी शामिल रहे।
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