साहित्य के माध्यम से जिंदगीभर समाज को एक सूत्र में पिरोते रहे शायर जाफरी
सैय्यद जाफरी शिक्षक के साथ ही लेखन व शायरी के अलावा सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से परस्पर एकता के सूत्रधार बने रहे। यही वजह रही कि 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के साथ गए शिष्टमंडल में भी उन्हें शामिल होने का मौका मिला।
किशोर जोशी, नैनीताल। सरोवर नगरी पर्यटन के साथ-साथ सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल के रूप में भी पहचान रखती है। यहां एक छोर में नयना देवी मंदिर है, तो मंदिर के समीप गुरुद्वारा और सामने ही जामा मस्जिद भी। ऐतिहासिक गिरिजाघर भी यहां की शान हैं। यहां हर समुदाय के के भाईचारे व प्रेम को बनाए रखने में कुछ शख्सियतों का योगदान भी है। शहर निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक सैय्यद आबाद जाफरी भी ऐसे ही व्यक्ति थे।
सैय्यद जाफरी शिक्षक के साथ ही लेखन व शायरी के अलावा सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से परस्पर एकता के सूत्रधार बने रहे। यही वजह रही कि 2002 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के साथ गए शिष्टमंडल में भी उन्हें शामिल होने का मौका मिला।
पहली जनवरी 1953 को बिलासपुर के शीशगढ़ में सैय्यद इरशाद जाफरी के घर जन्मे सैय्यद आबाद इंटरमीडिएट के बाद उच्च शिक्षा के लिए नैनीताल आ गए। फिर उन्होंने बीटीसी किया और शिक्षक बन गए। नैनीताल में एक दौर में जलसे, मुशायरे होते रहते थे तभी जाफरी को भी लेखन का शौक चढ़ गया। 2013 में वह सेवानिवृत्त हो गए तो लेखन को उन्होंने अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया था।
तीन दशक तक करते रहे आयोजन
शिक्षक, शायर व पत्रकार जाफरी ने उर्दू कलमकार समिति बनाकर करीब साढ़े तीस साल तक हिंदी पत्रकारिता दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए। राष्ट्रभाषा को प्रोत्साहित करने वाले रचनाकारों को सम्मानित किया। हमेशा समाज की एकता के प्रतीकों को आमंत्रित कर उनकी हौंसला अफजाई की। नैनीताल में ईद हो या होली हर त्योहार के सार्वजनिक आयोजन में जाफरी की सक्रिय भागीदारी रही। सरकारी सेवा में रहते हुए भी समाजसेवा करते रहे।
जाफरी को मिला सम्मान
वर्ष 1989 में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक व नेहरू अवार्ड, 1997 में साहित्य संगम अवार्ड, बेस्ट एनाउंसर, आचार्य नरेंद्र देव अलंकार 1997, भारतीय पत्रकारिता रत्न 2005, साहित्य सेवा सम्मान 2008।
रचनाओं में भी आपसी भाईचारे का ज्ञान
जाफरी ने हिंदू-मुस्लिम एकता पर केंद्रित सीरत ए इरशाद, अटल बिहारी बाजपेयी व राजीव गांधी की जीवनी के अंश, मौलाना आजाद-इस्लामी शिक्षा आदि पुस्तकें लिखी हैं। नवंबर 2021 में उनका इंतकाल हो गया। उनकी आठ किताबें प्रकाशित होनी हैं।