प्रेमी जोड़ों की शादी में बाधक बनने वालों के खिलाफ आया नैनीताल हाई कोर्ट का सख्त आदेश, जानिए
नैनीताल हाईकोर्ट ने अंतरजातीय या अंतर समुदाय विवाह करने वाले या कर चुके प्रेमी जोड़ों को परेशान या प्रताड़ित करने वाले परिवार के सदस्यों या असामाजिक तत्वों के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पारित किए हैं।
नैनीताल, जागरण संवाददाजा : नैनीताल हाईकोर्ट ने अंतरजातीय या अंतर समुदाय विवाह करने वाले या कर चुके प्रेमी जोड़ों को परेशान या प्रताड़ित करने वाले परिवार के सदस्यों या असामाजिक तत्वों के खिलाफ तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश पारित किए हैं। कोर्ट ने माना है कि हाईकोर्ट उन व्यक्तियों द्वारा दायर की जा रही तमाम आपराधिक याचिकाओं से भरा हुआ है, जो या तो शादी करने का इरादा रखते हैं या उनके द्वारा शादी कर ली है। ऐसे मामलों जिन्होंने अंतर्जातीय और अंतर-सामुदायिक विवाह में प्रवेश किया, या परिवार की इच्छा के विरुद्ध विवाह किया है।
न्यायालय ने यह टिप्पणी नैनीताल में पिछले दिनों एक संपत्ति के विवाद में साम्प्रदायिक झगड़े की आशंका होने पर पुलिस द्वारा एक पक्ष की तहरीर पर कार्रवाई करने व दूसरे पक्ष की तहरीर पर कार्रवाई नहीं करने के मामले में पारित आदेश में की है। इस मामले में डीजीपी ने मल्लीताल कोतवाली के कोतवाल को निलंबित कर दिया था। नैनीताल निवासी पीड़ित पक्ष की अधिवक्ता स्वलेहा हुसैन ने याचिका दायर की थी। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ की ओर से 17 नवंबर को जारी आदेश में कहा है कि इस न्यायालय में अनावश्यक रूप से ऐसी याचिकाओं की बाढ़ आ रही है।
न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया था कि वह पुलिस बल को परिपत्र जारी कर सख्त निर्देश दें कि यदि किसी पुलिस अधिकारी को इस तरह की धमकी के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त होती है, एक युवा जोड़े या जो शादी करने का इरादा रखते हैं, उन्हें तुरंत एक प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए और युवा जोड़े को धमकी देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। न्यायालय ने कहा कि वयस्कों को अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार है इसलिए, परिवार के सदस्यों या परिवार के दोस्तों द्वारा किसी भी दबाव की रणनीति की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
पुलिस महानिदेशक ने इस न्यायालय को बताया कि 28 सितंबर 2021 को ऐसा परिपत्र जारी किया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस न्यायालय के समक्ष मामले सूचीबद्ध होते रहते हैं, वह इस न्यायालय को आश्वासन देता है कि परिपत्र का पुलिस बल द्वारा सख्ती से पालन किया जाएगा। यदि यह पाया जाता है कि परिपत्र का अक्षरश: पालन नहीं किया गया है, तो पुलिस महानिदेशक अपराधी अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे।