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हल्‍द्वानी के एसटीएच व अस्थायी कोविड अस्पताल में बढ़ रहे मरीज, डॉक्‍टरों की कमी बन सकती है बड़ी मुसीबत

अस्थायी कोविड अस्पताल व एसटीएच में 31 मरीज भर्ती हो गए हैं। जबकि सात दिन पहले आठ मरीज भर्ती थे। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मेडिकल कालेज में डाक्टरों के 300 पद स्वीकृत हैं। इसमें सीनियर रेजिडेंट असिस्टेंट एसोसिएट व प्रोफेसर शामिल हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 09:34 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 09:34 AM (IST)
हल्‍द्वानी के एसटीएच व अस्थायी कोविड अस्पताल में बढ़ रहे मरीज, डॉक्‍टरों की कमी बन सकती है बड़ी मुसीबत
नैनीताल जिला प्रदेश में संक्रमण को लेकर नंबर वन पर हो गया है।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : कोरोना संक्रमण तेजी से बढऩे लगा है। नैनीताल जिला प्रदेश में संक्रमण को लेकर नंबर वन पर पहुंच गया है। जिले में इलाज के लिए अस्थायी कोविड अस्पताल व डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय भी है, लेकिन पर्याप्त स्टाफ नहीं है। डाक्टरों की संख्या आधी भी नहीं है। अगर दूसरी लहर की तरह फिर अस्पतालों में मरीज आते हैं तो संभालना मुश्किल हो जाएगा।

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अस्थायी कोविड अस्पताल व एसटीएच में 31 मरीज भर्ती हो गए हैं। जबकि सात दिन पहले आठ मरीज भर्ती थे। यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मेडिकल कालेज में डाक्टरों के 300 पद स्वीकृत हैं। इसमें सीनियर रेजिडेंट असिस्टेंट, एसोसिएट व प्रोफेसर शामिल हैं। वर्तमान में 166 डाक्टर ही कार्यरत हैं। अस्थायी कोविड अस्पताल के लिए कालेज प्रशासन ने डाक्टर समेत 72 कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए पत्र शासन को भेजा है।

पिछले सप्ताह संक्रमण दर में नैनीताल प्रदेश में नंबर वन

कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के 10 जनवरी से 16 जनवरी के आंकड़ों के आधार पर संक्रमण दर में प्रदेश में नैनीताल जिला नंबर वन पर आ गया है। इस अवधि में 12866 लोगों की आरटीपीसीआर जांच हुई। 2927 लोग संक्रमित पाए गए। 22.75 प्रतिशत संक्रमण दर है। जबकि देहरादून दूसरे नंबर पर रहा। वहां पर 41625 लोगों की जांच, 7740 लोग संक्रमित पाए गए। जबकि संक्रमण दर 18.59 प्रतिशत रहा।

तो दोनों अस्पताल संचालित करना आसान नहीं

राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी के प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने बताया क‍ि 500 बेड का अस्थायी कोविड अस्पताल और 625 बेड का डा. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय है। अगर मरीज फुल हो जाते हैं तो दोनों अस्पताल संचालित करना आसान नहीं होगा। पिछली बार की तरह एसटीएच में अन्य बीमारियों के मरीजों का इलाज भी कम करना पड़ सकता है। पर्याप्त स्टाफ के लिए शासन को अवगत करा दिया गया है।


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