kumaun ki ramleela 45 साल से मुस्लिम परिवार बना रहा है दशानन, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले
उत्तर प्रदेश के बरेली का एक मुस्लिम परिवार पिछले साढ़े चार दशक से सांप्रदायिक सौहार्द की मशाल जलाया है। परिवार के लोग रामलीला के लिए पुतले तैयार करते हैं।
नैनीताल, जेएनएन : उत्तर प्रदेश के बरेली का एक परिवार पिछले साढ़े चार दशक से सांप्रदायिक सौहार्द की मशाल जलाया है। कल्लू मियां रावण वाले के नाम से प्रसिद्ध इस परिवार का कारोबार टेंट का है, फिर भी वे परिवार की विरासत को बचाए रखने के लिए रावण-मेघनाथ व कुंभकरण के पुतला तैयार करते हैं। करीब छह साल बाद इस परिवार को नैनीताल के श्रीराम सेवक सभा की रामलीला के साथ ही भवाली की रामलीला के लिए दशानन, मेघनाथ-कुंभकरण के पुतले बनाने का काम मिला है।
परिवार के मुखिया शहंशाह बताते हैं 35 साल तक उनके वालिद कल्लू मियां पुतले बनाते थे। पिता के साथ उन्होंने भी पुतला बनाना सिख लिया। नौ साल पहले वालिद का निधन हो गया तो विरासत को आगे बढ़ाने का जिम्मा खुद उठाना पड़ा। बरेली में बरेली के थाना किला क्षेत्र में खुद का टेंट का कारोबार है। पुतले बनाने के लिए शहंशाह के साथ ही पत्नी नूरजहां, भाई सब्बा व पप्पू, बेटा समीर, बहन बब्बा, फैजान, वालिदा रजिया बी, बेटी नीया यहां पहुंचे हैं। बोले हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए इस काम को कर रहे हैं।
35 फिट ऊंचा होगा रावण का पुतला
शहंशाह बताते हैं नैनीताल में इस बार रावण के पुतले की ऊंचाई 35 फिट जबकि मेघनाथ व कुंभकरण के पुतले की 30-30 फिट होगी। पुतला बनाने में बांस, धागा, सुतली, रद्दी कागज, डेकोरेशन में प्रयुक्त होने वाले रंगीन कामला का प्रयोग किया जाता है। पुतलों का निर्माण करीब करीब पूरा हो चुका है, शुक्रवार को पुतलों को फ्लैट्स मैदान पर खड़ा कर आयोजकों के जिम्मे सौंप दिया जाएगा।
26 साल से रावण का किरदार निभा रहे कैलाश
रामलीला में किसी पात्र की सर्वाधिक चर्चा होती है तो वह रावण के पात्र कैलाश जोशी की। उनका अभिनय देखने के लिए शहर के साथ ही आसपास से भी दर्शक पहुंचते हैं। शहर निवासी कैलाश जोशी पिछले 26 साल से श्रीराम सेवक सभा की ओर से आयोजित रामलीला में रावण की भूमिका निभाते हैं। कैलाश कहते हैं कि अभिनय को करने के लिए पात्र के जीवन चरित्र में डूबना पड़ता है। कैलाश ने अभिनय की शुरुआत आदर्श रामलीला कमेटी सूखाताल में लक्ष्मण की भूमिका निभाकर की थी। पांच साल तक लक्ष्मण का अभिनय किया। इसके बाद श्री राम सेवक सभा की रामलीला में एक साल राम की भूमिका निभाई। एक साल बाद फिर से सूखाताल में रावण, परशुराम, बाली व दशरथ का अभिनय किया। उसके बाद फिर से श्री राम सेवक सभा में आ गए और 1994 से लगातार रावण का अभिनय करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे रावण का किरदार करने में मजा आने लगा। रामलीला में रावण का किरदार काफी अहम है। कैलाश ने आयाम मंच के साथ ही हिमानी आट्र्स संस्था के साथ गीत एवं नाटक प्रभाग में चार से पांच वर्षों तक काम किया। फैजाबाद व लोहाघाट में भी रामलीला में अभिनय के लिए जा चुके हैं।