जैविक व अजैविक कूड़े को एक साथ उठा रहा नगर निगम
हल्द्वानी शहर में जैविक व अजैविक कूड़े का स्रोत पर ही पृथक्करण नहीं हो रहा।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : शहर में जैविक व अजैविक कूड़े का स्रोत पर ही पृथक्करण नहीं हो रहा। घर-घर से कूड़ा उठान व उसकी निगरानी के लिए कोई प्रणाली विकसित नहीं है। कूड़ा उठान के लिए अनुबंधित निजी कंपनी को बिना किसी निगरानी प्रणाली के हर माह लाखों रुपये का भुगतान हो रहा है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) की सोमवार को हुई समीक्षा बैठक में यह खामियां उजागर हुई हैं।
नगरीय पर्यावरण संरक्षण परिषद के उपाध्यक्ष प्रकाश हर्बोला की अध्यक्षता में नगर निगम सभागार में एसडब्ल्यूएम की बिंदुवार समीक्षा हुई।
देहरादून से आए एसडब्ल्यूएम विशेषज्ञ कमल भट्ट ने कहा कि यह प्रगति निराशाजनक है। इससे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन 2016 की अवधारणा को साकार करना मुश्किल होगा। दर्जा मंत्री हर्बोला ने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन प्रधानमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भी इसकी निगरानी कर रहा है। ऐसे में हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जा सकती। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. मनोज कांडपाल ने कहा कि कूड़ा पृथक्करण के लिए जनजागरूकता फैलाई जा रही है। सीएनडी (कंस्ट्रक्शन एंड डिमालिशन) वेस्ट मैनेजमेंट पर उन्होंने कहा कि व्यापारी व निर्माण एजेंसी अपने स्तर से ही सीएनडी वेस्ट निस्तारित कर लेते हैं। हालांकि इसके लिए ट्रंचिंग ग्राउंड में डंपिंग जोन भी बनाया गया है। खुले में गंदगी फैलाने पर अभी तक नौ लोगों से 16,500 रुपये जुर्माना वसूला गया है।
बैठक में एसडीएम विवेक राय, एसएनए गौरव भसीन, विजेंद्र चौहान, एसीएमओ डा. आरपीएस नेगी, ईई जल संस्थान विशाल कुमार, अमृत विशेषज्ञ चंद्र सिंह, एई पेयजल निगम जीबी जोशी, दीपक कांडपाल आदि मौजूद रहे। स्वच्छता में सिटीजन फीडबैक अहम
कमल भट्ट ने कहा कोविड-19 को देखते हुए इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए टीम नहीं आएगी। पब्लिक फीडबैक के आधार पर ही स्वच्छता का आकलन होगा। निकायों को स्वच्छता के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करना होगा, ताकि अधिकांश लोग इसमें भागीदारी कर सकें। पानी की बोतलों को वापस भेजा
सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित है। बैठक शुरू होने से पहले कर्मचारी 200 मिली की पानी की छोटी बोतलों को लेकर सभागार में पहुंचा, मगर मंत्रीजी के वहां बैठे होने पर अधिकारियों ने कर्मचारी को इशारा कर पानी की बोतलों को बाहर भिजवा दिया। बाद में गत्ते के पाफी कप में पानी दिया गया। खुले में गंदगी, कूड़े की आग देख बिफरे मंत्री
बैठक के बाद मंत्री ने शहर का भ्रमण कर स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का जायजा लिया। इंदिरानगर नाला, शनि बाजार क्षेत्र, गांधी स्कूल के बाहर कूड़े के ढेर मिलने पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर कूड़ा फैलाने वालों पर एंटी लिटरिंग एंड एंटी स्पिटिंग एक्ट 2016 के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए। ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़े से धुआं उठने पर भी नाराजगी जताई। दो अस्पतालों में कूड़ा पृथक्करण की व्यवस्था का भी निरीक्षण किया। दर्जा मंत्री के सामने मेयर ने किया नगर निगम का बचाव
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन विशेषज्ञ कमल भट्ट ने कूड़ा प्रबंधन के लिए निगरानी प्रणाली विकसित न होने पर नाराजगी जताई। सेप्टिक टैंक सफाई वाहनों के पंजीकरण व निगरानी प्रणाली की दिशा में भी नगर निगम की प्रगति शून्य रही। सेप्टेज मैनेजमेंट कमेटी का गठन भी नहीं हुआ है।
एसडब्ल्यूएम विशेषज्ञ कमल भट्ट ने कहा यह प्रगति हैरान करने वाली है। कूड़ा वाहनों में जीपीएस सिस्टम होना चाहिए। प्रत्येक घर से कूड़ा उठ रहा है या नहीं, कितना कूड़ा उठ रहा है, उसी के आधार पर कंपनी को भुगतान किया जा सकता है। इस पर मेयर डा. जोगेंद्र रौतेला नगर निगम का बचाव करते हुए बोले, निगम में अधिकारियों की कमी है। दो सफाई निरीक्षकों के लिए इसकी निगरानी संभव नहीं है। इस पर भट्ट ने कहा निगम के खुद के संसाधनों की कमी को देखते हुए ही निजी कंपनी को काम दिया गया है। कंपनी से अनुबंध के आधार पर काम लेना नगर निगम की जिम्मेदारी है। इस पर मेयर ने कहा कि कंपनी की जिम्मेदारी घरों से कूड़ा उठाकर ट्रंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाना है। बाकी दीर्घकालीन योजनाएं हैं, जिनकी तरफ धीरे-धीरे कदम बढ़ाया जा रहा है। एसटीपी का टेंडर हो गया है। जल्द ही सेप्टेज मैनेजमेंट कमेटी के गठन, वाहनों के रजिस्ट्रेशन की दिशा में काम शुरू किया जाएगा।