जिंदा जलाकर हत्या करने के मामले में सास और देवर को दस-दस साल का कारावास
द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने विवाहिता की दहेज के लिए जिंदा जलाकर हत्या करने का दोष सिद्ध होने पर सास और देवर निवासी कालाढूंगी को 10-10 साल सश्रम कारावास और छह-छह हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
जागरण संवाददाता, नैनीताल : द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार सिंह की कोर्ट ने विवाहिता की दहेज के लिए जिंदा जलाकर हत्या करने का दोष सिद्ध होने पर सास और देवर निवासी कालाढूंगी को 10-10 साल सश्रम कारावास और छह-छह हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है।
अभियोजन के अनुसार, पहली अगस्त 2014 को मृतका के पिता मो. इस्लाम ने कालाढूंगी थाने में तहरीर दी थी कि उनकी बेटी फईमा की शादी पांच नवंबर 2012 को कालाढूंगी के वार्ड तीन बंजारा बस्ती निवासी नसीर अहमद पुत्र ताहिर से हुई थी। शादी में दहेज में बाइक दी गई, लेकिन फईमा को उसका पति नसीर, सास फरीदा व देवर नसीरूददीन ने दहेज में कार के लिए परेशान करना शुरू कर दिया।
31 जुलाई 2014 को फईमा के कमरे से चीख-पुकार की आवाज सुनी तो पड़ोस में ही रहने वाले उसके भाई अकरम व चाचा निजाम मौके पर आ गए। देखा कि फईमा की सास, पति व देवर खड़े थे और कमरे से धुआं उठ रहा था। दरवाजा खोला तो फईमा के शरीर में आग लगी थी, किसी तरह भाई अकरम व चाचा निजाम ने पानी छिड़ककर आग बुझाई और उसे पहले कालाढूंगी अस्पताल, फिर एसटीएच ले गए, जहां उसने दम तोड़ दिया। डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा ने आरोप साबित करने के लिए 14 जबकि बचाव पक्ष द्वारा दो गवाह पेश किए।
डीजीसी के अनुसार फईमा की मौत के कुछ महीनों बाद केस के ट्रायल के दौरान ही पति नसीर अहमद की कालाढूंगी में करंट लगने से मौत हो गई थी। इस मामले में मुकदमा दर्ज होने पर बुधवार को कोर्ट ने दहेज हत्या की धारा-304 बी में दोषी करार सास फरीदा, देवर नसीरूद्दीन को 10-10 साल सश्रम कारावास, जबकि 498 ए में तीन-तीन साल सश्रम कारावास व पांच-पांच हजार जुर्माने की सजा सुनाई है। अर्थदंड जमा नहीं करने पर छह माह अतिरिक्त कारवास भुगतना होगा।
सास व देवर को दहेज प्रतिषेध अधिनियम में एक-एक साल का सश्रम कारावास व एक-एक हजार जुर्माने की अतिरिक्त सजा भी सुनाई गई हैं। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। मंगलवार को कोर्ट दोनों को दोषी करार दे दिया था। बुधवार को सजा सुनाई गई। दोनों आरोपितों को जेल भेज दिया गया है।